सबगुरु न्यूज। एक आम कहावत है जब मुसीबतों का दौर शुरू होता है तो कुछ लंबा ही बना रहता है, ऐसे ही भारत के साथ हो रहा है। पिछले कुछ समय से एक के बाद एक कई देश भारत को लेकर लामबंद होते जा रहे हैं। अभी तक पाकिस्तान, नेपाल, चीन भारत को घेरने में जुटे हुए हैं। अब मुस्लिम देशों ने भी भारत की खिलाफत शुरू कर दी है। मेडिकल सुविधाओं और बिना संसाधन के अभाव में भारत पहले ही कोरोना महामारी से महाजंग लड़ रहा है।
दूसरी ओर चीन से युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। अब भारत को एक और झटका लगा जब मुस्लिम देशों ने भी लामबंदी शुरू कर दी। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि केंद्र की मोदी सरकार कूटनीति मसलों पर क्यों पिछड़ती चली जा रही है। कुछ समय पहले तक मोदी सरकार देश भर में विदेश नीति को लेकर अच्छा-खासा ढिंढोरा पीटने में लगी हुई थी। इस्लामिक देशों के संगठनों ने जम्मू-कश्मीर के ताजा हालात पर चर्चा के लिए सोमवार को एक बैठक बुलाई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई ओआईसी देशों के संगठनों ने इस बैठक में कश्मीर पर भारत सरकार के रुख को लेकर विरोध जताया है।
बता दें कि भारत ने जब से जम्मू कश्मीर में अनु्च्छेद 370 को हटाया है, तब से पाकिस्तान की मांग थी कि ओआईसी भारत के खिलाफ दबाव बनाए। हालांकि उस समय ओआईसी ने खामोश रहकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब पाकिस्तान की चाल में फंसते हुए इस संगठन ने कश्मीर को लेकर बयान जारी किया है। इस बैठक में ओआईसी से जुड़े देशों में अजरबैजान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की के विदेश मंत्री शामिल हुए। दूसरी ओर बैठक की मेजबानी करते हुए सऊदी अरब ने भारत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है।
जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार की नीतियों का इस्लामिक देशों ने आलोचना की
पिछले वर्ष 5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तभी से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। पाक ने जम्मू कश्मीर मसले पर भारत की जातियों को लेकर विश्व के कई देशों से गुहार लगाई थी लेकिन तब उसे कोई खास सफलता नहीं मिली थी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामिक देशों से भारत को घेरने का दबाव बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शानदार कूटनीति की बदौलत इस्लामिक देशों से जुड़े अधिकांश देश जम्मू कश्मीर मसले पर भारत के प्रति खामोश और तटस्थ रहे थे।
लेकिन मलेशिया, तुर्की, ईरान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना जरूर की थी लेकिन धीरे-धीरे वह भी शांत हो गए थे। लेकिन अब चीन और भारत की तनातनी के बीच पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू कश्मीर का मामला इस्लामिक देशों संगठनों के साथ उठाने पर दबाव बनाया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में ओआईसी के सदस्य देशों ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि वे कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। इसके अलावा इस बैठक में भारत के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने की भी आलोचना की गई। इतना ही नहीं ओआईसी ने पाकिस्तान की चाल में फंसते हुए भारत पर मानवाधिकार के उल्लंघन को लेकर जारी रिपोर्ट का समर्थन भी किया है।
पीएम मोदी की कूटनीति के चलते इस्लामिक देशों के साथ मधुर संबंध हैं
केंद्र में जब से भाजपा सरकार बनी है तभी से पाक इस्लामिक देशों के सामने पीएम नरेंद्र मोदी को हिंदूवादी छवि बताकर बदनाम करता चला आ रहा है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के ओआईसी देशों के सामने सभी प्रकार के हथकंडा अपनाने के बाद भी पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी नहीं आई थी। अपने कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी जब सऊदी अरब और यूएई की यात्रा की तब उन्हें जरूरत से ज्यादा सम्मान दिया गया था, यही नहीं सऊदी अरब ने तो अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान से भी मोदी को नवाजा था।
बता दें कि ओआईसी इस्लामिक देशों का संगठन है और इसमें सऊदी अरब का दबदबा है। जम्मू-कश्मीर का जब भारत ने विशेष दर्जा खत्म किया था तो ओआईसी लगभग खामोश था। ओआईसी में सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है। सऊदी ने भी अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में पाकिस्तान का साथ नहीं दिया था और संयुक्त अरब अमीरात ने इसे भारत का आंतरिक मामला कहकर पल्ला झाड़ दिया था। अपने ही मुस्लिम संगठन देशों के भारत के प्रति सम्मानजनक रवैया के बाद आखिरकार पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान जम्मू कश्मीर के मसले पर अलग-थलग पड़ गए थे।
इस्लामिक देशों से जुड़े इन राष्ट्रों का मुख्य उद्देश्य यह है
इस्लामिक देश यानी ओआईसी से 56 देश जुड़े हुए हैं। इन देशों के संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक-सामाजिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामी एकजुटता को प्रोत्साहन देना और विश्व के सभी मुसलमानों की गरिमा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा करने का उद्देश्य है। ओआईसी वर्ष 1969 में बनाया गया था। सऊदी अरब, सेनेगल, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्की, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन, अफगानिस्तान,अल्जीरिया, अजरबैजान, बहरीन, बांग्लादेश,मिस्र,इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, पाकिस्तान मालदीव, नाइजीरिया, ओमान, फिलिस्तीन कतर समेत आदि देश शामिल हैं। बता दें कि इस्लामिक संगठन से जुड़े कई देश ऐसे हैं जो पिछले एक साल से भारत से कुछ नाराज भी चल रहे हैं। नाराजगी के यह मुख्य कारण।
कश्मीर से 370 हटाना, नागरिकता संबंधी कानून को लेकर सरकार के खिलाफ भारत में खास तौर से मुस्लिम समुदाय के व्यापक प्रदर्शन, कोरोना महामारी के बीच दिल्ली में तबलीगी समाज से जुड़े लोगों पर भारत सरकार का आक्रामक रवैये पर भी ओआईसी के कई देशों ने एतराज जताया था। ज्यादातर एशिया के मुस्लिम देशों के साथ भारत के संबंध बेहतर रहना इसलिए जरूरी है, क्योंकि तेल और गैस जैसे कई जरूरी कारोबार इन्हीं देशों के साथ मिलकर संभव हैं। सिर्फ जरूरतों के लिए ही नहीं बल्कि करीबी पड़ोसियों से बेहतर संबंध कूटनीतिक रूप से भी आवश्यक होते हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार