वाशिंगटन। अमरीका में रह रहे हजारों भारतीय पेशेवरों ने उस वक्त राहत की सांस ली जब ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वह नियमों में ऐसे किसी भी बदलाव पर विचार नहीं कर रहा है जो एच1-बी वीजाधारकों को देश छोड़ने पर मजबूर करता हो। यह घोषणा अमरीकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने सोमवार को की।
इससे पहले बीते सप्ताह अमेरिका स्थित न्यूज एजेंसी मेकक्लेची डीसी ब्यूरो ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि वाशिंगटन एच-1बी वीजा के विस्तार को रोकने के लिए नए नियमों पर विचार कर रहा है। इस निर्णय का सीधा असर अमरीका में रह रहे भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की संभावना थी।
यूएससीआईएस के मीडिया संपर्क के प्रमुख जोनाथन विथिंगटन ने कहा कि यूएससीआईएस अपने नियामक बदलावों पर विचार नहीं कर रही है जो एच1-बी वीजा धारकों को अमेरिका छोड़ने पर मजबूर करता हो। हम अपने एसी-21 की धारा 104 (सी) की भाषा में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं जिसके अंतर्गत इसकी अवधि छह वर्ष से भी ज्यादा बढ़ाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता, तो भी इस बदलाव के बाद एच1बी वीजाधारकों को अमेरिका छोड़ने पर मजबूर नहीं होना पड़ता क्योंकि कर्मचारी एसी21 की धारा 106 (ए)-(बी) के तहत इसमें एक साल के विस्तार का अनुरोध कर सकते थे।
इससे पहले इस संबंध में रिपोर्ट आई थी कि ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा नियमों को कड़ा करने पर विचार कर रहा है जिससे वहां रह रहे 7 लाख 50 हजार भारतीयों को अमेरिका छोड़ने को मजबूर होना पड़ता।
विथिंगटन ने कहा कि यूएससीआईसी ने कभी भी ऐसे नीतिगत बदलाव पर विचार नहीं किया और यह सोचना पूरी तरह गलत है कि किसी भी दबाव की वजह से यूएससीआईसी ने अपनी स्थिति बदली है।
केन्सास रिपब्लिकन पार्टी प्रतिनिधि केविन योडर और हवाई से डेमोक्रेट प्रतिनिधि तुलसी गबार्ड ने ट्रंप को पत्र लिखकर, स्थायी तौर पर बसने का इंतजार कर रहे एच-1बी वीजाधारकों को यहां से नहीं भेजे जाने का आग्रह किया था।
दोनों नेताओं ने अपने पत्र में लिखा था कि हम मजबूती से विश्वास करते हैं कि यह कार्रवाई अमरीकी अर्थव्यवस्था, विश्वसनियता और भारत के साथ संबंध और भारत-अमरीकी समुदाय के लिए हानिकारक है।
यूएस चेंबर्स ऑफ कामर्स ने भी चेतावनी देते हुए इसे बहुत ही खराब नीति करार दिया जिसके तहत अमरीका में रह रहे उच्च प्रशिक्षित लोगों को कहा जाएगा कि यहां आपका स्वागत नहीं है।