नई दिल्ली। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और हॉकी लीजेंड बलबीर सिंह सीनियर देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी थे।
बलबीर सिंह सीनियर का लंबी बीमारी के बाद सोमवार सुबह मोहाली में निधन हो गया। बलबीर के निधन से संपूर्ण खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान की शुरुआत 1954 में हुई थी और बलबीर यह सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
बलबीर ने 1948 के लंदन ओलंपिक, 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक और 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। मेलबोर्न में वह भारतीय टीम के कप्तान थे।
उन्होंने अपना ओलंपिक पदार्पण 1948 के लंदन ओलंपिक में अर्जेंटीना के खिलाफ किया था। यह मैच भारत ने 9-1 से जीता था जिसमें बलवीर ने हैट्रिक सहित छह गोल किए थे। मेजबान ब्रिटेन के खिलाफ फाइनल में बलबीर के दो गोलों की बदौलत भारत 4-0 से जीता था।
1952 के अगले हेलसिंकी ओलंपिक में वह भारतीय टीम के उपकप्तान थे और ब्रिटेन के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने सभी तीन गोल किए थे। भारत ने फाइनल में हॉलैंड को 6-1 से पराजित किया था जिसमें बलबीर ने हैट्रिक सहित पांच गोल दागे थे। फाइनल में पांच गोल करने का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है।
वह 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक में भारतीय टीम के कप्तान थे। इसके अगले वर्ष 1957 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था औऱ यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह देश के पहले खिलाड़ी बने थे।
लंदन में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जब भारतीय टीम पानी के जहाज से वापस पहुंची तो बांबे (अब मुंबई) में उनका जहाज ज्वार-भाटे में फंस गया था। दो दिन इसी हालत में रहने के बाद जहाज बांबे के बंदरगाह पर लग सका। लेकिन इस बीच बहुत से खेल प्रेमी नावों पर सवार होकर विजेता खिलाड़ियों को बधाई देने पानी के जहाज पर पहुंच गए थे।
स्वदेश लौटने के कुछ दिनों बाद दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में ओलंपिक विजेता टीम और शेष भारत के बीच एक प्रदर्शनी मैच खेला गया जिसमें बलबीर ने विजयी गोल मारकर ओलंपिक टीम को 1-0 से जीत दिलाई। इस मैच को देखने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी स्टेडियम में मौजूद थे।