नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को रोहिणी स्थित आश्रम आध्यात्मिक विश्वविद्यालय को खुद को ‘विश्वविद्यालय’ के रूप में पेश करने से रोक दिया और केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्वघोषित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित को खोजने के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी. हरिशंकर की पीठ ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय को किसी भी स्वरूप में ‘विश्वविद्यालय’ या यूनिवर्सिटी शब्द का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। पीठ ने कहा कि इससे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम का उल्लंघन होता है।
यूजीसी अधिनियम के अंतर्गत, ‘विश्वविद्यालय’ का मतलब ऐसा संस्थान से होता है जो केंद्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम और राज्य अधिनियम के तहत गठित होते हैं।
अदालत ने यह माना कि सीबीआई ने दीक्षित की तलाश के लिए काफी प्रयास किया है। साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया कि कानून के मुताबिक अदालत में दीक्षित को पेश करने के लिए उसे तलाशने का हर संभव प्रयास करे।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को आश्रम में अवैध रूप से रखी गई महिलाओं और लड़कियों के परिजनों की बैठक का प्रबंध करने का आदेश दिया और इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च के लिए मुकर्रर की।
आश्रम की तरफ से वकील ने हालांकि कहा कि एक भी लड़की को आश्रम में बंदी बनाकर नहीं रखा गया और संस्थान के नियम के मुताबिक केवल अभिभावकों को लड़कियों से मिलने की इजाजत थी न कि परिजनों को।
सीबीआई ने दीक्षित के खिलाफ कथित रूप से कई महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को अपने आश्रम में बंधक रखने के तीन मामले दर्ज किए हैं।