नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के पृर्व डीन एवं प्रख्यात इतिहासकार आर एल शुक्ला का आज सुबह यहाँ एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।वह 82 वर्ष के थे और कुछ दिनों से बीमार थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने शुक्ल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और भारत में प्रगतिशील इतिहास लेखन की क्षति बताया है। शुक्ल भाकपा के सदस्य भी थे।
बिहार के वैशाली जिले में जन्में शुक्ल ने सुबह करीब साढ़े 8 बजे अंतिम सांस ली।उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर शाम पांच बजे कर दिया गया। पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उनके पुत्र पंकज राग ने दी जो मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और हिंदी के वरिष्ठ लेखक हैं।
अठारह जनवरी 1938 को बिहार के वैशाली जिले के पानापुर गांव में जन्में आरएल शुक्ल का पूरा नाम राम लखन शुक्ल था। उनकी चर्चित पुस्तकों में आधुनिक भारत का इतिहास तथा तुर्की तथा भारत सम्बंध शामिल है।
उन्होंने पटना विश्विद्यालयय से इतिहास में एमए तथा पीएचडी की थी। उनकी गिनती आधुनिक भारत के शीर्ष इतिहासकारों में होती थी। वह 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में नियुक्त हुए थे तथा 1998 में अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होकर लेखन कर रहे थे।
वह दिल्ली विश्वविद्यालय में समाज विज्ञान के डीन भी थे तथा सोशल साइंस प्रोबिंग के सम्पादक भी थे। रामशरण शर्मा, डीएन झा और राम लखन शुक्ल की तिकड़ी देश के इतिहासकारों में मशहूर थी।
ये तीनों पटना विश्वविद्यालय में थे और सत्तर के दशक दिल्ली विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए थे। इतिहास लेखन में इन तीनों ने अपनी अलग पहचान बनाई थी।