मुंबई । घरेलू निवेश कमजोर पड़ने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत को देखते हुये रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास अनुमान में 0.2 फीसदी की कटौती कर इसे 7.2 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक बैठक के बाद जारी बयान में 2019-20 की पहली छमाही में विकास दर 6.8 से 7.1 प्रतिशत के बीच और दूसरी छमाही में 7.3 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इस प्रकार पूरे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पहले फरवरी में जारी बयान में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर अनुमान 7.4 प्रतिशत रखा गया था।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने घरेलू निवेश कमजोर रहने के संकेत और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मद्देनजर अपने दो माह पुराने अनुमान में कटौती की है। बयान में कहा गया है “उत्पादन और पूँजीगत वस्तुओं के आयात में सुस्ती से घरेलू निवेश गतिविधियों में कमजोरी के संकेत मिले हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है।”
वहीं, वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय प्रवाह बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों पर सकारात्मक असर पड़ने की बात कही गयी है। बयान में निजी उपभोग के भी गति पकड़ने की उम्मीद जताई गयी है ग्रामीण क्षेत्रों में व्यय बढ़ेगा। इसमें कहा गया है कि पाँच लाख तक की आय को पूरी तरह करमुक्त बनाने से लोगों के पास व्यय योग्य आमदनी बढ़ेगी।