जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने शनिवार को विधानसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में बोलते हुए कहा कि इस विधेयक के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आभार एवं अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित हिंदू, सिख ईसाई, पारसी, जैन एवं बौद्ध विस्थापितों के दर्द को महसूस कर भारत की नागरिकता देने का काम किया।
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पूनिया ने कहा कि संसद से पारित विधेयक व केंद्र की सूची अंतर्गत आने वाले विषयों को कोई भी राज्य सरकार चुनौती नहीं दे सकती। विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाना पूर्णतया असंवैधानिक है। पंडित जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना की महत्वकांक्षाओं के कारण धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ जिसे कांग्रेस ने स्वीकारा और भारत धर्मनिरपेक्ष तथा पाकिस्तान कट्टर इस्लामी देश बना। दोनों देशों के बीच हुए समझौते में अल्पसंख्यकों के सम्मान की रक्षा होगी, यह बात लिखी गई। भारत इस समझौते पर खरा उतरा, लेकिन पाकिस्तान खरा नहीं उतर सका।
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पूनिया ने 1893 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद द्वारा कही बात मैं दुनिया की ऐसी धरती पर पैदा हुआ जो सब धर्मों का सम्मान करती है और उनको शरण देती है। के बारे में जिक्र किया। ऐसी ही बात महात्मा गांधी ने देश के विभाजन के बाद एक प्रार्थना सभा में कही थी कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख हर स्थिति में भारत आ सकते हैं, अगर वे वहां निवास नहीं करना चाहते, उस स्थिति में उन्हें नौकरी देना और उनके जीवन को सामान्य बनाना यह भारत सरकार का कर्तव्य है। इसी विचार को स्थापित करते हुए यह विधेयक लाया गया।
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पूनिया ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक शरणार्थियों के जीवन में आशा की एक नई किरण लेकर आया है। धर्म के आधार पर भारत विभाजन का दंश झेल रहे परिवारों को इससे नया जीवन मिलेगा। उत्पीड़ित और परित्यक्त लोगों को गले लगा कर भारत वसुधैव कुटुंबकम् की प्राचीन परंपरा का अनुसरण ही करेगा।
पूनिया ने कहा कि भारत की धरती सहिष्णु हैं, शरणागत को शरण देती हैं, मुझे कहते हुए पीड़ा हो रही है कि जब मैं जैसलमेर के दौरे पर था, वहां विस्थापित भीलों की बस्ती में गया और मैंने देखा कि कई वर्षों से वे लोग बिना आशियाने, बिना इज्जत और सम्मान व आम नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होकर के राजस्थान में रह रहे हैं। यही स्थिति रामदेवरा के विस्थापित मेघवाल बस्ती की है।
सतीश पूनिया ने डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते 18 दिसंबर 2003 को दिए गए उस वक्तव्य का जिक्र किया जिसमें मनमोहन सिंह विस्थापितों को नागरिकता देने के कानून में लचीलापन लाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2009 में अपने मुख्यमंत्री काल में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को इस संबंध में चिट्ठी लिखी।