सबगुरु न्यूज-जालोर/सिरोही। चुनाव अंतिम पड़ाव पर है। ऐसे में दोनों प्रमुख प्रत्याशियों ने जातियों को साधना शुरू कर दिया है। जालोर-सिरोही के लोकसभा चुनाव के कुरुक्षेत्र में अर्जुन इस बार कांग्रेस के साथ उतर चुके हैं।
रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले रानीवाड़ा के पूर्व विधायक एवं पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में बीसूका मंत्री रहे अर्जुनसिंह देवड़ा का फैक्टर सिरोही जिले और सिरोही से सटे रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में कितना प्रभाव डालेगा यह तो 23 मई को पता चलेगा, लेकिन यह तय है कि अर्जुन के बाणों का डर भाजपा को अभी से सताने लगा है।
इसके लिए भाजपा ने दोनों जगह की कमान पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को सौंपी है। राजपूत समाज का साधने के लिए इसी सप्ताह राजेन्द्र राठौड़ के नेतृत्व में राजपूत समाज की बैठक हुई तो कांग्रेस ने शुक्रवार को फिर से जालोर-सिरोही प्रभारी मंत्री भंवरसिंह और अर्जुनसिंह के नेतृत्व में राजपूत समाज के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की।
-क्या हो सकता है ‘अर्जुन’ फैक्टर
अगर 2009 और 2014 के परिणामों को 2019 में बने जातीय समीकरण और परिस्थितियों पर आंकलन करें तो अभी भी यह सीट भाजपा के खाते में जाती दिख रही है। लेकिन, यह अंतर इतना कम नजर आ रहा है कि इसे पूरा करना कांग्रेस के लिए 2014 जितना मुश्किल काम नहीं है।
ऐसे में अर्जुनसिंह देवड़ा में कांग्रेस में शामिल होने के फायदे को कुछ यूं समझा जा सकता है कि जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में स्थिति आठ विधानसभा सीटों में से चार में देवड़ा राजपूतों की अधिक संख्य हैं। रतन देवासी की 2013 की बजाया 2018 की हार का अंतर बहुत कम होने के पीछे भी अर्जुनसिंह देवड़ा फैक्टर बताया जा रहा है।
-देवड़ा के लिए सज सकती है रानीवाड़ा सीट
अर्जुनसिंह देवड़ा 2003 में रानीवाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी थे, तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में वह बीसूका उपाध्यक्ष भी थे। इसके बाद 2013 और 2018 में भाजपा ने उनका टिकिट काटकर नारायणसिंह देवल को वहां से टिकिट दिया।
अपनी अवहेलना से नाराज अर्जुनसिंह देवड़ा काफी लम्बे समय तक भाजपा के विमुख रहे और हाल में विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के समर्थन में आ गए। यही कारण रहा है कि रानीवाड़ा विधानसभा सीट से 2013 मे 32 हजार 652 वोटों से हारे रतन देवासी इस बार करीब चार हजार वोटों से ही पीछे रहे।
अर्जुनसिंह फैक्टर के प्रभाव में रतन देवासी ने करीब 28 हजार वोटों को बड़ा अंतर तय किया। ऐसे में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रतन देवासी के समर्थन से कांग्रेस को फायदा होता है रानीवाड़ा सीट फिर से अर्जुनसिंह देवड़ा के लिए खुल जाएगी और रतन देवासी के समर्थन के पारितोषिक के रूप में वहां के देवासी वोटर्स का झकाव अर्जुनसिंह की तरफ होने की भावी राजनीतिक संभावना राजनीतिक गणितज्ञों को वहां उबरती हुई दिख रही है।
-चलेगा गहलोत का जादू या सैनी करेंगे काबू
जातीय बैठकों में दूसरी चर्चा वाली बैठक माली समाज की रही। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने यहां पर माली समाज के प्रतिनिधियों की बैठक ली। इसमें उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि भाजपा ने किस तरह से विकास और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए काम किया है।
जालोर सिरोही में माली समाज में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी खासा प्रभाव रहा है। विधानसभा चुनावों में पाली, जालोर और सिरोही कांग्रेस की बदहाली ने गहलोत के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाया था। ऐसे में माली समाज यहां गहलोत और सैनी में से किसे तरजीह देता है यह मुकाबले को दिलचस्प बनाएगा।
-दो प्रमुख जातियों के अपने ही प्रत्याशी
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बाद प्रमुख मतदाता कलबी और देवासी समाज के बताए जाते हैं। कलबी समाज के प्रतिनिध के रूप में भाजपा ने देवजी पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं देवासी समाज के प्रतिनिधि के रूप में कांग्रेस ने रतन देवासी को अपना प्रतिनिधि बनाया है। दोनों ही जातिवाद करने के आरोप से घिरे हुए हैं, लेकिन परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि कौन 29 अप्रेल तक स्वयं को 36 कौम के नेता के रूप में विश्वसनीयता हासिल करता है।