नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि सूचना के अधिकार कानून (RTI) का मूल उदेश्य व्यवस्था में जनता का विश्वास बनाए रखना है और यह इसमें सफल रहा है।
शाह ने यहा केन्द्रीय सूचना आयोग के 14वें वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही ये दोनों ऐसे अंग हैं जिसके आधार पर ही अच्छा प्रशासन और सुशासन दिया जा सकता है। पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों को आगे बढ़ाने के लिए आरटीआई एक्ट ने बड़ी सहायता की है।
उन्होंने कहा कि देश में जरूरी था कि लोगों का विश्वास शासन एवं व्यवस्था में बने और लोगों की सहभागिता भी व्यवस्था के अंदर आए। आजादी के पहले प्रशासन का उद्देश्य अपने आकाओं की इच्छा की पूर्ति करना था, इसके कारण बड़े कालखंड में जनता और प्रशासन के बीच बड़ी खाई बन गई थी।
गृह मंत्री ने कहा कि मैं मानता हूं कि हमारी लोकतंत्र की यात्रा के अंदर आरटीआई एक्ट बहुत बड़ा मील का पत्थर है। हमारी निरंतर चलने वाली लोकतांत्रिक यात्रा का एक मील का पड़ाव है। पिछले 14 साल में आरटीआई एक्ट के कारण जनता और प्रशासन के बीच की खाई को पाटने में बहुत मदद मिली है और जनता का प्रशासन एवं व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है।
शाह ने कहा कि वर्ष 1990 तक केवल 11 देशों में आरटीआई कानून था। वैश्वीकरण, आर्थिक उदारीकरण और तकनीक नवाचार के युग की शुरुआत होते ही यह संख्या बढ़ने लगी। आरटीआई के कारण कई देशों में अच्छे प्रशासनिक बदलाव देखने को मिले हैं जिसमें भारत भी एक है।
उन्होंने कहा कि भारत विश्व में पहला ऐसा देश है जहां नीचे तक सूचना तंत्र की रचना करने में सफल हुआ है और एक जवाबदेह सूचना तंत्र का गठन कर पाया है। केंद्रीय सूचना आयोग से लेकर हर राज्य में सूचना आयोग की स्थापना की गई है। इस अधिनियम के तहत लगभग पांच लाख सूचना अधिकारी इस कानून का निर्वहन कर रहे हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि आरटीआई एक्ट अन्याय रहित सुशासन देने की दिशा में अच्छा प्रयास है । भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासनिक व्यवस्था खड़ी करने में अच्छा प्रयास है। अधिकारों के अतिक्रमण को नियंत्रित करने में भी आरटीआई ने अपनी पूरी भूमिका निभाई है। दुनियाभर की सरकारें सूचना के अधिकार का कानून बना के रुक गई है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। मोदी सरकार में हम ऐसा प्रशासन देना चाहते हैं कि सूचना अधिकार के आवेदन कम से कम आए। लोगों को आरटीआई का उपयोग करने की जरूरत ही न पड़े ऐसी व्यवस्था करना चाहते हैं।
शाह ने कहा कि स्थिति ऐसी बने कि लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े, बल्कि सरकार खुद सामने आकर सूचनाएं दे, ऐसी व्यवस्था हो। केदारनाथ धाम के नए स्वरूप का निर्माण हो रहा है। वहां घाटी में ऑल वेदर रोड बन रही हैं। आपको आश्चर्य लगेगा लेकिन वहां की पूरी निगरानी ड्रोन के माध्यम से ऑनलाइन हो रही है।
शाह ने कहा कि सूचना का अधिकार जब कानून बना तब ढेर सारी आशंकाएं व्यक्त की जाती थी। वर्ष 2016 में जब कानून का उन्होंने अध्ययन किया तब उन्हें भी लगा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने डेशबोर्ड के माध्यम से एक नए पारदर्शी युग की शुरुआत की है। स्वच्छ भारत के तरह कितने शौचालय बने इसके लिए आरटीआई की जरूरत नहीं है, डेशबोर्ड में सरपंच देख सकता है उसके गांव में कितने शौचालय कब तक बनने वाले हैं। सौभाग्य योजना के तहत लोग डेशबोर्ड में यह देख सकते हैं कि उसके घर में बिजली कब लगने वाली है। सूचना के अधिकार के साथ-साथ लोगों में दायित्व की भावना को भी जागृत करें।