नई दिल्ली। भारत के लीजेंड विकेटकीपर बल्लेबाज़ महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी करार दि जा रहे रिषभ पंत अपनी लगातार खराब फार्म और बांग्लादेश के खिलाफ पहले टी-20 मुकाबले में नाकाम डीआरएस लेने के चलते आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं।
पंत का उनकी खराब फार्म के बावजूद टीम प्रबंधन, चयनकर्ता और कप्तान लगातार बचाव कर रहे हैं। पंत वनडे और ट्वंटी 20 मैचों में अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जबकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज से उन्हें एकादश से बाहर रखा गया था।
बांग्लादेश के खिलाफ दिल्ली में खेले गए पहले टी-20 मुकाबले में जब पंत ने डीआरएस के लिये कप्तान रोहित शर्मा को सहमत किया लेकिन जैसे ही अंपायर ने भारत का रेफरल खारिज किया तो दर्शकों की ओर से लगातार धोनी-धोनी की आवाजें आने लगीं। धोनी डीआरएस लेने में महारत रखते हैं और इस मामले में उनके अधिकतर फैसले सही साबित होते हैं।
इस मैच में नाबाद 60 रन बनाकर बांग्लादेश को सात विकेट से जीत दिलाने वाले मुशफिकुर रहीम जब छह रन पर थे तो उनके खिलाफ 10वें ओवर की तीसरी गेंद पर लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल की पगबाधा की अपील खारिज कर दी गई। भारत ने उस समय डीआरएस नहीं लिया। भारत को यह गलती अंत में काफी भारी पड़ी।
चहल के इसी ओवर की आखिरी गेंद पर सौम्य सरकार के खिलाफ विकेट के पीछे कैच की अपील अंपायर ने ठुकरा दी और कप्तान रोहित ने पंत के कहने पर डीआरएस लिया लेकिन भारत का डीआरएस खारिज हो गया क्योंकि गेंद ने बल्ले का कोई किनारा नहीं लिया।
रोहित ने पंत का बचाव करते हुए मैच के बाद कहा कि रिषभ एक युवा खिलाड़ी हैं और चीजों को समझने में उन्हें कुछ समय लगेगा। यह कहना जल्दबाजी होगी कि वह कब ऐसे फैसले लेने लगेंगे। जब आप एक फील्डर के रूप में सही जगह नहीं होते हैं तो आपको गेंदबाज और विकेटकीपर की सोच पर भरोसा करना होता है और उसी के हिसाब से फैसला करना होता है।
भारत का डीआरएस जैसे ही खारिज हुआ था दर्शकों को यकायक धोनी याद आ गए थे और उन्होंने धोनी धोनी की आवाज़ें लगानी शुरू कर दी थी। पंत इस मैच में इस फैसले के अलावा बल्लेबाजी में ज्यादा कमाल नहीं कर सके थे। पंत ने धीमी बल्लेबाजी करते हुए 26 गेंदों में तीन चौकों के सहारे 27 रन बनाए थे।
टीम में एक अन्य विकेटकीपर बल्लेबाज़ संजू सैमसन भी मौजूद हैं लेकिन रोहित ने मैच की पूर्व संध्या पर कहा था कि पंत मैच विजेता खिलाड़ी हैं और वह अपने दम पर मैच का रूख बदल सकते हैं।
सीरीज से पहले चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद ने भी कहा था कि भारत अब धोनी से आगे की तरफ देख रहा है और टीम का लक्ष्य पंत है। प्रसाद का कहना है कि छोटे प्रारूप में पंत टीम के प्रमुख विकेटकीपर रहेंगे। हालांकि पंत का पिछले 10 मैचों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। इस प्रदर्शन के कारण ही उन्हें टेस्ट एकादश से बाहर रख रिद्धिमान साहा को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौका दिया गया था।
पंत ने अब तक 12 वनडे खेले हैं जिसमें वह 22.90 के औसत से 229 रन ही बना सके हैं। उन्होंने वनडे में 17, 24, 36, 16, 32, 48,4, 32, 20 और 0 की पारियां खेली हैं जबकि टी-20 फार्मेट में अपनी पिछली 10 पारियों में उन्होंने नाबाद 40, 28, 3, 1, 0, 4, नाबाद 65, 4, 19 और 27 रन बनाये हैं।
ऐसे प्रदर्शन से टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं के लिए इस 22 वर्षीय खिलाड़ी का आगे बचाव करना मुश्किल होता चला जाएगा क्योंकि टीम में जगह बनाने के लिए संजू सैमसन जैसे खिलाड़ी टीम इंडिया के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं।