Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
rishi panchami Festival 2018-ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम - Sabguru News
होम Headlines ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम

ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम

0
ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम
rishi panchami Festival 2018
rishi panchami Festival  2018
rishi panchami Festival 2018

सबगुरु न्यूज। प्राणी की देह काया कहलाती है और प्राण रूपी वायु इसे कंचन की तरह चमकाती रहती है। यह कंचन रूपी काया कब तक चमकती रहेगी इस बात का भान प्राणी को नहीं होता है।

कंचन रूपी काया का कोई भरोसा नहीं है कि कब इसकी चमक प्राण वायु खत्म कर दे। इस कारण इसकी चमक बनाए रखने के लिए इसे ज्ञान के रक्षा सूत्र से बांधना परम आवश्यक है।

बिना ज्ञान के काया मन से श्रृंगारित होकर अपने जीवन की यात्रा को केवल सुखों के सागर में गोते लगवाती हैं यह जानते हुए कि इस जगत में अंतिम सत्य केवल मृत्यु ही है अतः जैसे भी हो उसी तरह सुखो का भोग कर ले। बस इसी धारणा के तहत काया ज्ञान के रक्षा सूत्र नहीं बांधती है और ज्ञान केवल उनकी परिभाषा में सुखों के उपभोग का ही रह जाता है।

ज्ञान के रक्षा सूत्र त्याग, तपस्या, शोध, अनुसंधान के आधार पर जमीनी हकीकत से ही मिलते हैं और हर दिन एक नए ज्ञान की प्रकाश रश्मि इसे नूतन रखती है। ज्ञान के रक्षा सूत्र काया को मन के श्रृंगार से हटा उस ओर लेकर जाते हैं जहां काया अपनी विशालता का प्रतिबिम्ब देखती है और असंख्य काया को सुखी और समृद्ध बना खुद भी सुखी और समृद्ध दिखाई देती हैं। काया की ये विशालता ही सभ्यता और संस्कृति का निर्माण कर उसे अभौतिक व भौतिक मूल्यों का ज्ञान देती है।

सत्य की खोज करता मानव जब ज्ञान की रहस्यमयी दुनिया की उन गहराइयों में चला जाता है तो वह एकांत का सहारा ले मनन और चिंतन में डूब जाता है तथा दुनिया से दूर वन उपवन में जाकर ज्ञान का ॠषि बन जाता है। अपने ज्ञान के रक्षा सूत्र तैयार करता है। इन रक्षा सूत्रों से काया में निखार आता है और वह सुखों के सागर से निकल कर ज्ञान के सागर में गोते लगाती हैं।

ऋषियों की यही स्थिति फिर हर मानवी काया को आकर्षित करती है और काया ऋषियों का अभिनंदन कर उन्हें अपनी रक्षा के लिए सूत्र बांधती है। ऋषि अपने ज्ञान के बन्धन से उनकी काया को बांध सुखी और समृद्ध बनाने के मार्ग प्रशस्त करती हैं। ऋषियों को बांधे यह रक्षा सूत्र पंच तत्वों की काया की पंचमी बन पूर्ण हो जाती हैं। भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी को ऋषियो का पूजन किया जाता है। ये सात ऋषि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज,विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ हैं।

बिना जोते बोये उत्पन्न हुए श्यामाक (सांवा के चावल) आदि से नैवेधअर्पण करके पूजन करें। ऋषि पंचमी को राखी भी मनाई जाती है।

संतजन कहते हैं कि हे मानव शरीर रूपी काया की रक्षा तो हर कोई कैसे भी कर सकता है मगर काया जब तक ज्ञान के बन्धन से नहीं बंधेगी तो वह नैतिक मूल्यों को नहीं सीख पाएंगी ना ही समाज व रिश्तों को खूबसूरत बना पाएगी साथ ही ना ही हम की भावना उसमें उत्पन्न होगी और वह एकाकी बन मन के ऋंगार से अहंकारी बन जाएगी।

इसलिए हे मानव इस कंचन रूपी काया का कोई भरोसा नहीं है। यह कभी भी तुझे छोड़ कर चली जाएगी। इसलिए ज्ञान के लिए राखी या रक्षा सूत्र बांध और इस पंच तत्व की काया को संस्कारित करने के आशीर्वाद इन ऋषि रूपी रिश्तों से ले, जो तेरी काया को हर ज्ञान से समृद्ध बनाएंगे और तू कल्याण रूपी मार्ग पर बढ़ जाएगा।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर