मुंबई । बॉलीवुड निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी अपनी सुपरहिट फिल्म ‘आनंद’ शशि कपूर को लेकर बनाना चाहते थे। ऋषिकेश के निर्देशन में बनी फिल्म आनंद में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभायी थी।
फिल्म ‘आनंद’ 12 मार्च 1971 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म को रिलीज़ हुए पूरे 38 वर्ष हो चुके हैं। ऋषिकेश निर्देशित इस फ़िल्म को देखर जब लोग थिएटर से निकले तो सभी की आंखें नम थी और ज़हन में सिर्फ एक बात थी कि ‘ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं!’
बताया जाता है कि ऋषिकेश इस फ़िल्म में पहले शशि कपूर को आनंद के किरदार के लिए लेना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश शशि कपूर ने फ़िल्म के लिए मना कर दिया। इसके बाद ऋषिकेश ने राज कपूर को आनंद बनाने का सोचा लेकिन उस समय राज बीमारी से ताज़ा ताज़ा उठे थे और ऋषिकेश नहीं चाहते थे कि वो फ़िल्म में राज को मरते हुए दिखाएं। इसके बाद यह रोल राजेश खन्ना तक पहुंचा।
ऋषिकेश को ‘आनंद’ की यह कहानी बहुत पसंद थी लेकिन, वो नहीं चाहते थे कि लोगों को यह अंत में पता चले कि ‘आनंद’ को कैंसर है। इसलिए, ऋषिकेश ने राइटर गुलज़ार से ये गुज़ारिश की थी कि वो कुछ ऐसा लिखें जिससे लोगों को शुरू में ही पता चल जाए कि आनंद बीमार है और वो इस बीमारी से लड़कर जीतते हैं या हारते हैं, यह सवाल पूरी फ़िल्म के दौरान लोगों के ज़हन में बना रहे।
‘आनंद’ में राजेश खन्ना अमिताभ को बाबु मोशाय कह कर बुलाते थे। बाबु मोशाय मतलब ‘जेंटलमैन’ जो राज कपूर रियल लाइफ में ऋषिकेश को कहा करते थे। ऋषिकेश ने ही यह शब्द राजेश खन्ना को बताया और इसे फ़िल्म में बखूबी इस्तेमाल भी किया गया।