नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने खुलासा किया है कि म्यांमार के राखीन प्रांत के गांवों में रोहिंग्या आतंवादी संगठन अराकन रोहिंग्या साल्वासिन आर्मी ने पिछले वर्ष अगस्त में 100 हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की निर्मम हत्या की।
एमनेस्टी ने म्यांमार के राखीन प्रांत तथा बांग्लादेश की सीमा पर किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर यह खुलासा किया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि उसके द्वारा जुटाए गए आंकड़े जमीनी हकीकत पर आधारित हैं और उसने ये आंकडे राखीन प्रांत तथा बांग्लादेश की सीमा से जुड़े इलाकों में विभिन्न लोगों से बातचीत कर जुटाए हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि रोहिंग्या आतंकवादी संगठन एआरएसए को हिंदू और अन्य समुदाय के लोगों से भय था इसलिए दहशत में उसने इस तरह के कृत्य को अंजाम दिया।
एमनेस्टी इंटरनेशल में क्राइसेस रिस्पांस की निदेशक तिराना हसन ने कहा कि मौके से जुटाई गई हमारी जांच में एआरएसए द्वारा राखीन के उत्तरी क्षेत्र में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं सामने आई है। एआरएसए की कार्रवाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
इस बारे में जिन लोगों से बातचीत की गई वे अत्यधिक डरे हुए और बेहद सहमे हुए थे। सर्वेक्षण के दौरान जिन लोगों से बातचीत की गयी उनका कहना था कि इन घटनाओं को राज्य के उत्तरी क्षेत्र में स्थित मौंगद्वार कस्बे के कई गांवों में अंजाम दिया गया। म्यांमार में आतंकवादी संगठनों तथा सुरक्षा बलों द्वारा की जाने वाली मानवाधिकार की घटनाओं को देखने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 26 अगस्त को एआरएसए ने हिंदुओं के गांव अह नौ खा मौंग शेख में हमला किया। इस अमानवीय कृत्य के दौरान आतंकवादियों ने महिला, पुरुषों और बच्चों को पकड़ा और गांव के बाहरी इलाके में ले जाकर उनके साथ अत्याचार किया। इन घटनाओं को अंजाम देने वाले हथियारबंद लोग काले कपडों में गांवों में घुसे थे। इन गांवों में बौद्ध भी रहते हैं।