गुलबर्गा। ओलंपिक में खेल चुके पूर्व भारतीय फुटबॉलर सैयद शाहिद हकीम का यहां रविवार को अस्पताल में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने उनके निधन पर शोक जताया है।
एआईएफएफ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने शोक संदेश में कहा कि हाकिम साहब नहीं रहे यह सुनकर दुख हुआ। वह भारतीय फुटबॉल की स्वर्णिम पीढ़ी के सदस्य थे, जिन्होंने देश में इस खेल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मैं परिवार के साथ दुख साझा करता हूं।
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा कि हकीम साहब की विरासत जीवित रहेगी। वह एक महान फुटबॉलर थे जो कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहे हैं। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
उल्लेखनीय है कि हकीम 1960 के ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम का हिस्सा थे। उन्होंने फीफा इंटरनेशनल रेफरी के रूप में भी काम किया और दोहा में एएफसी एशियन कप 1988 में कई मैचों का संचालन किया। उन्होंने हकीम साहब के रूप में लोकप्रियता हासिल की थी।
घरेलू स्तर की बात करें तो वह 1960 में विजयी सेवा की संतोष ट्रॉफी टीम का हिस्सा रहे। वह 1960 से 1966 तक भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे। क्लब स्तर पर वह सिटी कॉलेज ओल्ड बॉयज (हैदराबाद) और भारतीय वायु सेना के लिए खेले।
वहीं भारतीय फुटबॉल टीम के सहायक कोच के अलावा उन्होंने 1998-99 में महिंद्रा एंड महिंद्रा को भी कोचिंग दी और 1998 में डूरंड कप जीतने के लिए उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने सालगांवकर एससी, हिंदुस्तान एफसी और बंगाल मुंबई क्लब को भी कोचिंग दी। दिवंगत शाहिद हकीम को 2017 में ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।