नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना से मृत व्यक्तियों के परिजनों को 50-50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि दिये जाने के केंद्र के निर्णय पर गुरुवार को प्रसन्नता जताई और कहा कोरोना के मामले में भारत ने जो कर दिखाया है वह अन्य देश नहीं कर सके हैं।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने कहा कि सरकार के फैसले से मृतक के परिवारों को कुछ राहत मिलेगी। न्यायमूर्ति शाह ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा है कि हम आज बहुत ही खुश हैं। केंद्र सरकार कोरोना पीड़ितों के आंसू पोंछने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि हमें इस तथ्य का जरूर संज्ञान लेना चाहिए कि भारत ने जितना किया है, उतना दूसरे देश नहीं कर सके हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को न्यायालय को अवगत कराया था कि कोरोना संक्रमण के कारण मरने वालों के परिजनों को 50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि मिलेगी।
सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामा में कहा था कि यह अनुग्रह राशि राज्य सरकारों की ओर से राज्य आपदा राहत कोष से जारी की जाएगी और संबंधित परिवार के सदस्य के आधार से जुड़े खाते में सीधे ट्रांसफर की जाएगी।
हलफनामा में यह भी कहा गया था कि इतना ही नहीं भविष्य में कोविड से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए भी यह व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने शीर्ष अदालत के 30 जून 2021 के फैसले के आलोक में दिशानिर्देश तैयार किया है और इसे गृह मंत्रालय ने न्यायालय के समक्ष रखा।
हलफनामा में कहा गया था कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने का फैसला मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की पड़ताल के बाद जिला आपदा प्रंबधन प्राधिकरण करेगा, लेकिन अनुग्रह राशि का भुगतान राज्य आपदा राहत कोष से किया जाएगा।
अनुग्रह राशि के दावे के लिए राज्य सरकारें एक फार्म जारी करेंगी और उसे संबंधित दस्तावेजों के साथ जिलाधिकारी के पास जमा कराना होगा। फार्म और दस्तावेज जमा होने के बाद 30 दिनों के भीतर अनुग्रह राशि का भुगतान करना होगा।