अजमेर। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के बैनर तले आज जिला मुख्यालयों पर रैली व प्रदर्शन के माध्यम से ‘सरकार जगाओ सप्ताह‘ का शुभारंभ किया गया। अजमेर में भी इसी क्रम में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।
भामसं से जुड़े केंद्र व राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं में कार्यरत आंगनवाड़ी कर्मचारी, आशा वर्कर्स, मिड-डे मील वर्कर्स, स्वास्थ्य कर्मचारी व 108 एंबुलेंस कर्मचारियों आदि की लंबित मांगों को लेकर संघ आवाज बुलंद करता रहा है। अजमेर में प्रदर्शन का नेतृत्व प्रदेश संयोजक भोलानाथ आचार्य ने किया।
संघ की अजमेर ईकाई अध्यक्ष ममता सेन और महामंत्री निशि जैन ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन की प्रक्रिया का पालन करते हुए सीमित संख्या में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध जाहिर किया। प्रदर्शन के माध्यम से आंगनबाडी में काम करने वाली बहनों सरकारी कर्मचारी की तरह दर्जा दिए जाने की मांग बरसों से की जा रही है। इसलिए जब तक यह मांग पूरी नहीं की जाती तब तक उन्ळें कार्यकर्ता को न्यूनतम वेतन 18000 रुपए व सहायिका को 9000 रुपए प्रतिमाह दिए जाने चाहिए।
इसी तरह मिनी आंगनबाडी कार्यकर्ता को भी मुख्य आंगनबाडी केन्द्र के समान 18000 रुपए मानदेय मिलना चाहिए। इसके अलावा समस्त आंगनबाडी कार्यकर्ता को सामाजिक सुरक्षा के तहत पीएफ, पेंशन, ग्रेचियूटी और चिकित्सा सुविधा, आयुष्मान भारत अभियान के तहत मेडिकल सुविधा अपेक्षित है।
वर्तमान में अल्प मानदेय में काम कर रही आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के परिवार भी लॉकडाउन के हालात से प्रभावित हैं। लेकिन समय पर वेतन मानदेय ना मिलने से भूखों मरने की नौबत आ गई है। दुर्गम व पहाडी क्षेत्रों में काम करने वाली आंगनबाडी कार्यकर्ता को अतिरिक्त कठिनाई भत्ता मिलना ही चाहिए।
कोरोना वायरस रोकथाम में सेवाएं दे रही आंगनबाडी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को भी कोरोना योद्धा कल्याण योजना की तहत 50 लाख रुपए बीमा राशि के दायरे में लाया जाना चाहिए।
आचार्य ने अजमेर जिले की आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मूलभूत जरूरतों की तरफ प्रशासन की ओर ध्यान न दिए जाने पर रोष जताते हुए कहा कि जिले की 11 परियोजनाओं में माह जनवरी से आज दिनांक तक भवन किराया का भुगतान नहीं हुआ है। इसी तरह महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा वितरण किए जाने वाले गर्म एवं सूखे पोषाहार का भुगतान दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक का बकाया है। फोन रिचार्ज का भुगतान अटका पडा है। पुष्कर परियोजना में माह अक्टूबर 2019 से बढे मानदेय के एरियर का 9 माह का भुगतान व महिला पर्यवेक्षकों का 4 माह से मासिक वेतन लंबित है।