झुंझुनूं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की खेमी शक्ति मंदिर परिसर में आयोजित अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक पूर्ण होने पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पत्रकारों को बताया कि कोरोना काल के पश्चात हो रही प्रत्यक्ष प्रांत प्रचारक बैठक में संगठनात्मक कार्यों के साथ ही आगामी योजनाओं व गतिविधियों पर भी चर्चा हुई।
उन्होंने बताया कि दो साल पश्चात हुए संघ शिक्षा वर्गों में 40 वर्ष से कम आयु के 18981 व 40 वर्ष से अधिक आयु के 2925 शिक्षार्थियों ने वर्ग में सहभागिता की। इस वर्ष पूरे देश के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के 101 वर्गों में कुल 21906 संख्या रही।
उन्होंने कहा कि संघ कार्य पुनः गतियुक्त हो रहा है। कोरोना के कारण प्रभावित हुआ शाखा कार्य फिर से शुरु हो गया है। वर्तमान में शाखाओं की संख्या 56824 है। स्वयंसेवकों की सामाजिक कार्य जैसे जल प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, पर्यावारण व स्वच्छता आदि में समाज के सहयोग से सहभागिता बढ़ती जा रही है। ऐसे ही कुटुंब प्रबोधन व कुरीतियों के निवारण हेतु सामाजिक संस्थाओं, संतों व मठ-मंदिरों के सहयोग से इस कार्य को स्वयंसेवक आगे बढ़ा रहे हैं।
बैठक में स्वाधीनता के 75 वर्ष के संदर्भ में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में स्व के आधार पर विचार हो एवं अज्ञात व अकीर्तित नायकों के बारे में समाज की विभिन्न संस्थाएं अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रही है उनको और अधिक प्रचारित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि मार्च में सम्पन्न हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में स्वरोजगार के विषय पर चर्चा हुई थी। उसके अंतर्गत ‘स्वावलंबी भारत अभियान’ में 22 संगठनों ने 4000 से अधिक युवाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया है। 15 जुलाई अंतरराष्ट्रीय युवा कौशल दिवस से 21 अगस्त उद्योजक दिवस तक इस विषय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि 2025 में संघ कार्य को प्रारम्भ हुए सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। संघ के शताब्दी वर्ष की व्यापक विस्तार योजना बनी है। साल 2024 तक देश भर में एक लाख स्थानों पर शाखाओं को ले जाएंगे तथा समाज के सभी वर्गों में संघ कार्य पहुंचे एवं समाज जागरण के साथ समाज में सकारात्मक वातावरण बने ऐसा प्रयास है। बैठक में गत वर्ष की समीक्षा तथा आगामी 2 वर्ष के कार्य योजनाओं का लक्ष्य लिया।
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सुनील आंबेकर ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ लोक भावना का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि उदयपुर में जो नृशंस हत्या हुई वह अत्यंत निंदनीय है। इसकी जितनी भर्त्सना हो वह कम है। हमारे देश में लोकतंत्र है। संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकार है। किसी को अगर कोई बात पसंद नहीं आई तो उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए लोकतांत्रिक मार्ग है।
सभ्य समाज इस प्रकार की घटना की निंदा ही करता है। हिन्दू समाज शांतिपूर्ण, संवैधानिक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। मुस्लिम समाज से भी अपेक्षा है कि ऐसी घटना का निषेध करे। कुछ बुद्धिजीवियों ने इसका निषेध किया है, लेकिन मुस्लिम समाज को भी सामने आकर इसका बढ़चढ़कर विरोध करना चाहिए। ऐसी घटनाएं न समाज हित में हैं और न ही देशहित में है। इसका सबको मिलकर निषेध करना आवश्यक है।