चित्रकूट। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की पौराणिक नगरी चित्रकूट में आयोजित हिंदू एकता महाकुंभ को सम्बोधित करते हुए हिंदू धर्म छोड़कर दूसरे धर्म अपनाने वालों से घर वापसी की अपील की।
यहां बेड़ी पुलिया के पास आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित अपार जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सर संघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं से एक होने का आह्वान करते हुए कहा कि भय के बल पर किसी को ज्यादा दिन तक बांधा नहीं जा सकता है और अहंकार से एकता टूटती है, हम लोगों को जोड़ने के लिए काम करेंगे।
महाकुंभ में शामिल हो रहे लोगों को उन्होंने इसका संकल्प भी दिलाया। उपस्थित जनसमूह ने संघ प्रमुख के साथ संकल्प लिया, हिंदू संस्कृति के धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर हम यह संकल्प लेते हैं कि पवित्र हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज के संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करेंगे।
तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य की अध्यक्षता और संयोजक युवराज आचार्य रामचंद्र दास की देखरेख में आयोजित हिंदू एकता महाकुंभ में पांडाल में भारी भीड़ उमड़ी।
कार्यक्रम के मंच से मोहन भागवत, तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य और श्रीश्री रविशंकर ने लोगों को संकल्प दिलाया कि मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिंदू भाई को हिंदू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा। जो भाई धर्म छोड़ कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा। उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हिंदू बहनों की अस्मिता, सम्मान और शील की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करूंगा। जाति, वर्ग, भाषा, पंथ के भेद से ऊपर उठकर हिंदू समाज को समरस, सशक्त और अभेद्य बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।
जगदगुरू रामभद्राचार्य ने कहा कि अब हिंदुओं के लिए अब ऊं शांति कहने का नहीं बल्कि ऊं क्रांति कहने का जमाना आ गया है। हम पहले तो किसी को छेड़ेंगे नहीं लेकिन जो हमें छेड़ेगा उसे छोड़ेंगे भी नहीं।
इस दौरान श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि कुछ लोग जुटते हैं तो भय पैदा होता है जबकि जहां संत और हिंदू इकट्टा होते हैं, वहां अभय मिलता है। देश भक्ति और ईश्वर भक्ति एक ही है, जो देशभक्त नहीं है, वह ईश्वर भक्त भी नहीं हो सकता। श्रीश्री रविशंकर ने हिंदू महाकुंभ के 12 मुद्दों का समर्थन किया। इसमें राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक श्रीराम मंदिर, देव स्थानों की परंपरा नष्ट कर रहा सरकारी नियंत्रण, धर्मांतरण की अंतर्राष्ट्रीय साजिश, जनसंख्या नियंत्रण कानून, सामान नागरिकता का अधिकार, लव जेहाद, भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा, धर्म में व्यसन का त्याग, गो रक्षा, मातृ शक्ति, हिंदू धर्म के बारे में दुष्प्रचार बंद हो और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगे आदि मुद्दे शामिल हैं।
साध्वी ऋतम्भरा ने अंग्रेजों के जमाने की शिक्षा प्रेणाली से दूर हट के संस्कारी शिक्षा अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने वर्तमान में लड़कियों में नशा सेवन की बढ़ती प्रवृति और अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर दुख जताते हुए अभिभावकों से अनुरोध किया कि इस सांस्कतिक गिरावट को नजरअंदाज न करें बल्कि इसे रोकने के लिए प्रभावी तरीके से काम करें। उन्होंने युवकों और युवतियों से अपने चारित्रिक बल को ऊंचा रखने की शपथ लेने की अपील करते हुए कहा कि जब हमारे युवा चारित्रिक रूप से मजबूत होंगे तो हिंदू समाज भी स्वत: प्रगति के मार्ग पर आगे बढ जायेगा।
हिंदू एकता महाकुंभ में किसी भी राजनीतिक दल का नाम लेने से पूरा गुरेज रखा गया। यहां तक कि किसी वक्ता ने भारतीय जनता पार्टी का नाम तक नहीं लिया, जैसा कि पहले राजनीतिक गलियारों में आयोजन को लेकर आक्षेप भी लगाए जा रहे थे कि इससे भाजपा को फायदा होगा। सिर्फ अध्यक्षीय उद्बोधन में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी का एक बार नाम लिया।
वर्ल्ड रिकार्ड्स आफ इंडिया जीनियस फाउंडेशन के प्रेसीडेंट मोहन सोलंकी ने बताया कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य और आचार्य रामचंद्र दास ने तीन वर्ल्ड रिकार्ड रजिस्टर करने के लिए भेजे थे। उन्होंने बताया कि बुधवार को 11 सौ लोगों के एक साथ शंखनाद, दो लाख लोगों के एक साथ आफलाइन और आनलाइन हिंदू एकता के लिए शपथ लेने और दो लाख लोगों के एक साथ वंदे मातरम् गायन के लिए तीन वर्ल्ड रिकार्ड रजिस्टर्ड किए गए हैं।
इस मौके पर जगद्गुरु राघवदेवाचार्या महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी सदानंद महाराज, साध्वी ऋतंभरा आदि ने भी विचार व्यक्त किए। सांसद आरके सिंह पटेल, बांदा विधायक प्रकाश द्विवेदी, कटनी विधायक संजय सत्येंद्र पाठक, केंद्रीय मीडिया प्रभारी संजीव कुमार मिश्रा, अधिवक्ता अजीत कुमार शुक्ला आदि मौजूद रहे।