कोझिकोड। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि ‘केसरी’ का उद्देश्य धर्म के मार्ग की स्थापना करना है, विजय मिलना या न मिलना मायने नहीं रखता है।
डॉ. भागवत ने कहा कि सभी कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने लक्ष्य, साथी तथा धर्म के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने मंगलवार को कोझिकोड के नजदीक चलपपुरम के सरी मीडिया अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन करते हुए कि ‘केसरी’ पत्रिका के भारत के उत्थान पर केंद्रित कुछ विचार रखें।
डॉ. भागवत ने कहा कि नई पीढ़ी को उस संघर्ष को याद रखना चाहिए, जिसके माध्यम से संगठन पिछले 70 वर्षों के दौरान आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब सत्य को प्रकाशित करने के लिए अनुमति लेने की जरूरत पड़ती थी लेकिन सच्चाई में विश्वास और कड़ी मेहनत करने से सच्चाई की जीत होगी और आज ऐसा ही हुआ है।
उन्होंने कहा कि केरल का मीडिया देश के दूसरों राज्यों की घटनाओं पर ध्यान देता है, लेकिन राज्य की घटनाओं को उजागर करने में बुरी तरह से विफल साबित होता है।
डॉ. भागवत ने कहा कि हमें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्यों में नए तरीकों से कई परिवर्तनों को अनुकूलित और समायोजित करने की आवश्यकता है। दुनिया सभी सफल लोगों को याद नहीं करती है, बल्कि सिर्फ सार्थक रूप से सफल होने वाले लोगों को याद करती है।
केसरी का उद्देश्य ‘धर्म’ के तरीके को स्थापित करना था, भले ही हमने कुछ जीत हासिल न की हों। सभी बाधाओं के बावजूद, हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि साथी ’और धर्म प्राप्त हो सके।
इससे पहले उन्होंने विख्यात गीतकार कैथाराम सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने डॉ. एकेएम दास तथा डॉ. एकेएम दास, वीएम गोनाथ और शंभू प्रसाद की आरएसएस और भाजपा के शहीदों की जीवन पर आधारित ‘केरल में आरएसएसः संघ का संघर्ष’ सहित आठ पुस्तकों का विमोचन किया। बाद में एक लाइब्रेरी का उद्घाटन किया।
इस मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष पीआर नाथन, विधायक ओ राजगोपाल, विख्यात विद्वान स्वामी चिदानंतपुरी, रामकृष्ण आश्रम के क्षेत्रीय प्रमुख नरसिंहानंद सरस्वती और चिन्मय मिशन के क्षेत्रीय प्रमुख स्वामी तेजोमयानंद उपस्थित थे।