हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में सरसंघ चलाक मोहन भागवत ने पतंजलि गुरुकुलम् आवासीय शिक्षण संस्थान का शनिवार को उद्घाटन करते हुए कहा कि गुरुकुल अपने आप में एक विशिष्ट शब्द है।
गुरुकुल में गुरु अपने छात्रों को अपना कुलवाहक मानकर तैयार करते हैं तथा दीक्षा देता हैं। गुरुकुल में विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ मनुष्यता के गुण सिखाये जाते हैं, उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनाया जाता है।
सरसंघ चालक ने कहा योगग्राम के समीप शहर के कोलाहल से दूर, पहाड़ों की तलहटी में एवं नदी के तट पर स्थित यह गुरुकुलम् प्राकृति की सुरम्य गोद में स्थित है, जो प्राचीन गुरुकुलों का स्मरण कराता है।
भागवत ने कहा गुरुकुल में गुरु पुस्तकों के साथ-साथ अपने आचरण एवं व्यवहार से सिखाता है। गुरुकुल के उत्कृष्ट यशस्वी प्रयोग निरन्तर चलने चाहिए। उन्होंने कहा कि पतंजलि गुुरुकुलम् से निकले छात्रा गांव-गांव में गुरुकुलों की स्थापना करेंगे। यह गुरुकुल विद्या की गंगोत्री है, यहां से एक अखण्ड, ऊर्जा का स्रोत निकलेगा।
उन्होंने कहा कि ज्ञान अनंत है, केवल विषयों को गिनकर ज्ञान का आकलन नहीं किया जा सकता। आज विज्ञान, तकनीकि, भौतिकी, रसायन आदि अनेक विषयों का ज्ञान विद्यार्थियों को दिया जाता है किन्तु ये सम्पूर्ण ज्ञान नहीं हैं, ज्ञान वह है जो मनुष्य को मनुष्य बनाए। नैतिक, मौलिक तथा संस्कृतिपरक ज्ञान प्रदान करने वाले संस्थानों का देश में अभाव है।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि हम आशंकित रहते थे कि भारत की इस गौरवमयी संस्कृति व ऋषियों की वैदिक ज्ञान परम्परा का क्या होगा, किन्तु इन नन्हें ऋषिकुमारों को देखकर लगता है कि 2050 तक भारत पुनः विश्व गुरु बन जाएगा।
ऋषियों की संस्कृति को अंगीकार कर ये ऋषिपुत्र निश्चित ही भारतीय संस्कृति के गौरवमयी इतिहास का पुनर्जागरण करेंगे। पतंजलि योगपीठ वैदिक संस्कृति का ध्वजवाहक तथा अपने पूर्वजों के संकल्पों एवं आदर्शों का वाहक है। उन्होंने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् पतंजलि योगपीठ की आत्मा है।
राममंदिर के विषय में स्वामी रामदेव ने कहा कि राम इस राष्ट्र की आन-बान-शान, संस्कृति एवं आदर्श हैं। राम भारत के सभी सम्प्रदायों के पूर्वज हैं। राम इस देश के स्वभाव हैं, तथा हर भारतीय की रग-रग में बसे हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा वैदिक गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय एवं पतंजलि गुरुकुलम् हमारी शिक्षा की क्रान्ति के प्रमुख चरण हैं। आचार्य जी ने कहा कि मोहन भागवत भारत की एकता, अखण्डता व भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए पुरुषार्थरत हैं।
इससे पूर्व सरसंघ चालक ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान, पतंजलि हर्बल गार्डन एवं पतंजलि गौशाला का भ्रमण किया। भागवत ने पतंजलि हर्बल गार्डन में पौध भी रोपित किया।
कार्यक्रम में मुख्य केन्द्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया, डाॅ. जयदीप आर्य, राकेश कुमार, मुख्य महाप्रबंधक ललित मोहन, क्षेत्र के विधायक, निकटवर्ती गांवों के प्रधान एवं हजारों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।