हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि आने वाले 10 से 15 वर्षों के भीतर अखंड भारत को लेकर स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद का स्वप्न साकार होने वाला है और ईश्वर की इच्छा से हम सब इसे अपनी आंखों से होता हुआ देखेंगे।
डॉ. भागवत ने बुधवार को यहां कनखल में पूर्णानंद आश्रम में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर श्री 1008 स्वामी दिव्यानंद गिरि की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और श्री गुरुत्रय मंदिर का लोकार्पण के अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी गिरिधर, स्वामी विशोकानंद भारती, स्वामी विवेकानंद, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव रविंद्रपुरी, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद उपस्थित थे।
सरसंघ चालक ने कहा कि वेदों में आपके जो आधी-व्याधि है व्याधि का तो उच्चारण है और आधी-व्याधि का भी उच्चारण है। उन वेदों का प्रत्यक्ष आचरण करने वाले गुरु होते हैं। उन गुरुओं ने हमारे सामने जो बात रखी है अपने जीवन से रखी है, उसको नित्य स्मरण में रखा है और उसका स्मरण समाज को भी करना पड़ेगा।
अर्थात् समाज जब चलेगा तो प्रेरणा संत महात्माओं की ही रहेगी। क्योंकि ईश्वर और हमारे समाज के बीच में सेतु तो संत ही है। उनके द्वारा ही हम ईश्वर को समझते हैं उनके द्वारा ही ईश्वर की इच्छा को समझते हैं ईश्वर ने हमको जो कर्तव्य दिया है उसका प्रबोधन उनके द्वारा ही होता है प्रबोधन से, आचरण से उदाहरण से और अपनी आत्मीयता से समाज को वो ले जाए।
उन्होंने कहा कि संत है इसलिए प्रकट नहीं होते, पीछे रहते हैं, संतन को सीकरी का क्या काम। आवत जात पनहियां टूटी, बिसरि जाए हरि नाम… ऐसा उनका जीवन रहता है तो हमारे जैसों को बिठा देते हैं सामने और फिर हम पर मढ़ते हैं… फिर मढ़ते तो अच्छा लगा तो वाह वाह वाह… फिर कभी-कभी मार भी खाना पड़ता है, वो भी हमको ही खाना पड़ता है.. उसके लिए हम तैयार हैं।
डॉ. भागवत ने कहा कि संतों के प्रबोधन के अनुसार समाज को आगे बढ़ने के कार्य में बाधा नहीं पड़े, इसीलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हाथ में डंडा लेकर चौकीदार का कार्य कर रहा है और डॉ. हेडगेवार ने यह काम हमें दिया है।
उन्होंने कहा कि आप जो सोच रहे हैं उसको पूरा करने के लिए आपका प्रबोधन, समाज को ऐसा रखना, ये तो चलते रहेगा, उस समय हाथ में डंडा लेकर आपके इस कार्य में बाधा न पड़े ये चौकीदारी का काम डॉ. हेडगेवार ने हमको दिया है.. वो हम करते रहेंगे।
सरसंघचालक ने कहा कि यह कार्य करते समय हमें थोड़ा बहुत जो बाहर का अनुभव है उसके आधार पर मैं देख रहा हूं कि हम सब लोगों का ये उद्यम चलेगा, मिलकर चलेंगे, बिना झंझट चलेंगे। ईश्वर की इच्छा है, ये होने वाला है। आप चाहो, ना चाहो, ये होने वाला है। हम आपके मन को उसको साकार करने के लिए उद्दत करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि इतना मंतव्यनिष्ठ होकर समाज चले, आप उसको ऐसा चलाएंगे आप अपने उदाहरण से इसको ऐसा बनाएंगे हम हमेशा आपके मंतव्यों को साकार करने के लिए उद्यमरत रहेंगे, समय लगेगा, एकदम सारी बाते नहीं होती जितना बताया गया है मेरे पास बिल्कुल सत्ता नहीं है, इसलिए मेरे पास कभी-कभी सत्ता आ जाती है। मेरे पास कुछ नहीं है, जो है वह जनता के पास है। जनता का अंकुश चलता है। वो तैयार होते हैं तो सबकी चाल बदल जाती है।
उन्होंने कहा कि जनता को तैयार हम भी कर रहे हैं आप भी करिए। हम उदाहरणस्वरूप बनकर मिलकर ठीक ऐसे ही चलेंगे। ऐसे ही मिलकर चलेंगे, बिना हारे चलेंगे। बिना डरे चलेंगे। सफल होकर चलेंगे। हम अहिंसा की ही बात करेंगे लेकिन हाथ में डंडा लेकर चलेंगे और डंडा दिखने में ऐसा भारी होगा… क्योंकि हमारे मन में कोई द्वेष भाव नहीं है, कोई शत्रुता नहीं है। दुनिया ऐसे ही मानती है। हम क्या करें। दुनिया शक्ति को मानती है। अपनी शक्ति है, होनी चाहिए। दिखनी चाहिए। ये जागरुक रहकर हम चलेंगे और चल ही रहे हैं।
डॉ. भागवत ने कहा कि इसी गति से चले तभी गणना से काम होने वाला है। हम थोड़ी गति और बढ़ा देंगे तो आपने 20-25 साल कहा, मैं 10-15 वर्ष ही कहता हूँ। उसमें जिस भारत का सपना देखकर हम चल रहे थे वो भारत स्वामी विवेकानंद ने जिसको अपने मनचक्षुओं से देखा था। और जिसके उदय की महर्षि योगी अरविंद ने भविष्यवाणी की थी वो हम इसी देह में, इन्हीं आंखों से अपने इस जीवन में देखेंगे। मेरी शुभकामना भी है, ये आप की इच्छा भी है और हम सबका संकल्प भी है।