बैतूल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संघ का कार्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज काे संगठित करना है। संघ का स्वयंसेवक हर कार्य मे उत्कृष्टता प्राप्त करता है। हमने घोष वर्ग में कई वाद्यों पर अलग अलग राग रागिनी सीखी है, पर हम किसी कला के लिए नहीं अपितु हिन्दू समाज के संगठन के लिए समर्पित है।
भागवत ने यहां अखिल भारतीय घोष वर्ग के समापन अवसर पर स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि संघ का कार्यकर्ता सामान्य जैसा ही रहता है, आलौकिक नहीं रहता, पर उसे सदैव अपने ध्येय का स्मरण रहता है। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता की साधना करने वालों को अन्य लोगों के प्रति करुणा, प्रेम और सहानुभूति की दृष्टि होनी चाहिए।
प्रसिद्ध संगीतकार पंडित भीमसेन जोशी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पंडित जी ने योग्यता होते हुए भी संगीत सीखने के लिए कठिन परीक्षा दी पर अपने शिष्यों की कठिन परीक्षा नहीं ली। उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें शिक्षा दी। उनके मन मे कभी अहंकार नही रहा। हमें भी यह शिक्षा अपने-अपने प्रान्तों में जाकर स्वयंसेवकों को सिखानी है। बिना उत्कृष्टता के आनंद नहीं मिलता।
बीस दिन से चल रहे घोष वर्ग में देश के प्रत्येक प्रांत से आये स्वयंसेवक घोष वाद्यों में नैपुण्यता प्रप्त कर रहे थे। इस अवसर पर बीस दिन सीखे वादन का अनवरत 55 मिनिट भागवत और नगर के स्वयंसेवकों के समक्ष जब घोष वादकों ने वादन किया तो सबका मन मोह लिया। घोष वादकों ने नागांग, तूर्य, स्वरद, वंशी, आनक, शंख आदि वाद्यों की भारतीय राग पर आधारित 47 रचनाओं का वादन किया।