चितौडगढ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रान्त के 19 मई से प्रारंभ हुए संघ शिक्षा वर्ग (प्रथम वर्ष) का 7 जून को विधिवत समापन हुआ। वर्ग में चितौड़ प्रान्त के 12 प्रशासनिक एवं संघ दृष्टि से 27 जिलों के 225 स्थानों से 338 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनको प्रशिक्षण देने के लिए 27 निपुण शिक्षक तथा इनकी सभी सामान्य आवश्यकताओं की व्यवस्थाओं के लिए 52 प्रबन्धक दिन-रात लगे रहे। जिसका प्रकट समारोह शिविर स्थल विद्या निकेतन स्कूल गांधी नगर चितौडगढ में हुआ। जिसमें नगर के एवं आस-पास क्षेत्र के समाज जन बड़ी संख्या में उपस्थित रहें।
समापन समारोह कार्यक्रम में समस्त शिक्षार्थी स्वयंसेवकों ने एक साथ घोष की थाप पर सांगिक रूप से योग व्यायाम, नियुद्ध एवं दण्ड का प्रर्दशन किया। जो अत्यन्त ही मनमोहक एवं अदभुत था।
वर्गकार्यवाह नारायण लाल ने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें बताया की प्रतिदिन प्रातःकाल जागरण 4 बजे देशभक्ति गीतों की सुमधुर धुन पर होता था। अपने देश, धर्म, संस्कृति, पावन नदियों, पर्वत महापुरूषों, वैज्ञानिकों, देवताओं और मनिषियों का पुण्य स्मरण एकात्मता स्तोत्र के माध्यम से करते थे तथा संघ स्थान पर शारीरिक कार्यक्रम दण्ड, नियुद्ध, पदविन्यास, खेल योग व्यायाम के प्रशिक्षण के बाद समूह चर्चा, संवाद सत्र में प्रचार, सेवा, सम्पर्क, बड़ी कहानियों के माध्यम से वार्तालाप होता था। दो घंटे की विश्रान्ति के पश्चात बौद्धिक वर्ग के माध्यम से संघ स्थापना की पृष्ठभूमि संघ की विकास यात्रा आदि का परिचय भी शिक्षार्थियों को करवाया जाता था।
इस वर्ग में प्रान्त क्षेत्र एवं अखिल भारतीय अधिकारियों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ जिसके तहत सह सरकार्यवाह अरूण कुमार तीन दिन तक वर्ग में पूर्ण समय रहकर मार्गदर्शन प्रदान किया। हिन्दवा सूरज वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयन्ति पर नगर के मुख्य मार्गो पर पंथ संचलन निकाला गया तथा ‘बड़ा खेल‘ जिसे सिहं गढ विजय नाम दिया गया, जिसे चितौडगढ के ऐतिहासिक दुर्ग पर खेला गया।
इन शिक्षार्थियों की इस साधना का साक्षी बनने का अवसर चितौड नगर के ख्यात नाम चिकित्सकों, प्रशासनिक अधिकारियों, उद्योग पतियों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों, आदि दस श्रेणियों के प्रबुद्ध वर्ग ने स्वयं उपस्थित होकर शिक्षार्थियों की साधना को प्रोत्साहन दिया। समारोप की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्र संघचालक रमेश अग्रवाल ने अपने
उद्बोधन में कहा की दुनिया के तीन बड़े संकट है।
प्रथम वैश्विक आतंकवाद जिसके तहत एक पूजा, एक मजहब, एक पुस्तक जिसे तलवार के जोर पर स्थापित करना है। दूसरा ग्लोबल वार्मिंग इसका मुख्य कारण अपने स्वार्थो के लिए अधिकाधिक प्रकृति का दोहन करना। तीसरा पारिवारिक विखण्डन एकांकी परिवार जिसके तहत यूरोप के देशों में वृद्धाश्रम बढे हैं। सरकार का खर्च बढा है। इन सबका एकमात्र समाधान हिन्दुत्व विचार है।
जिसमें सर्वधर्म, समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् एवं एकम् सत्विप्रा बहुदा वदन्ति के मौलिक सिद्धान्त पर कार्यरत है। इसलिए विश्व में नेतृत्व करने वाले लोग हिन्दुत्व को खोज रहे है। देश अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। संघ स्वराज 75 के रूप में महान क्रान्तिकारियों के बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है।
मुख्य अतिथि केप्टन डाॅ सुरेश ईनाणी ने कहा की प्रशिक्षण का सम्पूर्ण व्यय स्वयंसेवकों ने स्वयं वहन किया यह उनका समाज देश के प्रति समर्पण दिखाता है। विभिन्न स्थानों व वर्गो से इस प्रतिकूल मौसम में स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण करना इनका समाज व देश के प्रति समर्पण प्रदर्शित होता है। यहां से सीखे संस्कारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अनेक श्रेष्ठ विभूतियां देश को प्रदान की है। जिन्होंने अपने श्रेष्ठ कार्यो से देश को गौरवान्वित किया है। इसके लिए देश संघ का ऋणी है।