जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पश्चिम क्षेत्र संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश ने बुधवार को फिल्म पद्मावत पर विज्ञप्ति जारी कर बताया की अतीत में देश पर हुए विदेशी आक्रमणों के विरूद्ध संघर्ष में राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षार्थ, अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देने वाले देश के वीर व वीरागंनाएं हमारी अगाध श्रद्धा के केन्द्र एवं सम्पूर्ण समाज के अविस्मरणीय महानायक हैं।
शुद्ध व्यावसायिक लाभ की प्रेरणा से उनके जीवन प्रसंगों पर अपुष्ट, विवादास्पद व काल्पनिक जानकारियों के आधार पर फिल्म प्रदर्शन कर जन भावनाओं को आहत व उद्वेलित कर सामाजिक सदभाव को बिगाड़ने के प्रयास गम्भीर रूप से चिन्ताजनक हैं।
फिल्म व नाटक जैसे लोकानुरंजन व जनसंचार के माध्यमों का उपयोग, समाज में सौहार्द, भ्रातृत्व व राष्ट्र गौरव के जागरण के साधन के रूप में ही देखा व प्रयोग किया जाना चाहिए।
डॉ. भगवती प्रकाश ने बताया की अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात, सूरत, सोमनाथ, खम्भात, जैसलमेर, रणथम्भौर, चित्तौड़गढ़ (मेवाड़) मालवा, उज्जैन, धारानगरी, चन्देरी, जालोर, देवगिरी, तेलगांना, होयसल आदि अनेक राज्यों को लूटा, रौंदा, हजारों वीरों, स्त्रियों व पुरूषों को बन्दी बनाया, उन्हें गुलामों का जीवन जीने को विवश किया, रानी कमलादेवी व राजकुमारी देवल जैसी भारतीय रानियों व राजकुमारियों से स्वयं व अपने पुत्र व सेनापतियों से बलात् निकाह कराया।
रणथम्भोर में रानी रंगदे सहित अनगिनत वीरांगनाओं ने व चित्तौड़ में रानी पद्मावती सहित अनगिनत वीरांगनाओं में अग्नि में जौहर किया रणथम्भोर की राजकुमारी देवल दे व उनकी सहेलियों ने पद्मला तालाब में जल जौहर किया। चित्तौड़ पर अधिकार के बाद मेवाड़ के ही 30,000 वीरों को कत्ल करवाया था। अपनी धन-लोलुपता व स्त्रिय-लोलुपता से खिलजी द्वारा किये बर्बर अत्याचारों से हम क्या दिखलाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृढ़ मत है कि हमारे स्मृति-शेष वीरों व वीरांगनाओं को, मनोरंजन के व्यापार का माध्यम बनाने से विरत रह कर, पद्मावती फिल्म के निर्माताओं को अब भी समय रहते उस फिल्म को दिखलाने से अपने कदम पीछे खींच लेने चाहिए। संघ, फिल्म के निर्माता, देश के सभी चलचित्र गृहों एवं समाज का आवाहन करता है कि सभी लोग इस फिल्म के प्रदर्शन व इसे देखने से सर्वथा विरत रहें व इसका पूर्ण तिरस्कार करें।