सबगुुरु न्यू्ज-सिरोही। राजस्थान विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने मांग की है कि महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को परीक्षा एवं अध्ययन-अध्यापन के लिए खोलने से पूर्व शिक्षा संस्थानों में संक्रमण से बचाव एवं हाइजीन के संबंध में समुचित व्यवस्थाएं की जाए तथा महामारी विशेषज्ञों की राय के बाद ही इन्हें खोला जाए।
रुक्टा (राष्ट्रीय) की तरफ से राज्यपाल एवं समस्त कुलपतियों को भेजे गए पत्र के बारे में जानकारी देते हुए प्रदेशअध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि राज्य सरकार ने 16 जून से उच्च शिक्षा संस्थानों को को प्रवेश एवं अन्य कार्यों के लिए खोलने तथा जुलाई के दूसरे सप्ताह में परीक्षा करवाने का मंतव्य प्रकट किया है।
वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी के और विकट रूप लेने की आशंका जताई है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हवाले से भी यह तथ्य मीडिया में आया है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी 15 अगस्त तक शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने की बात कही है।
प्रदेश महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि कई महाविद्यालयों में शैक्षणिक स्टाफ के लिए हाथ धोने व टॉयलेट की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कुछ महाविद्यालय पंचायत भवन एवं स्कूलों के अस्थाई भवनों में चल रहे हैं जहां वेंटिलेशन एवं अन्य सुविधाओं की बहुत कमी है ।
यदि उच्च शिक्षा संस्थानों में समुचित हाइजीन और सैनिटाइजिंग व्यवस्था किए बिना तथा महामारी विशेषज्ञों की राय के विपरीत जल्दबाजी में उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने का निर्णय किया जाता है तो संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ सकता है।
संगठन ने यह भी ध्यान दिलाया है कि महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के हॉस्टल,कैंटीन, पुस्तकालय, खेल मैदान के बारे में भी स्पष्ट गाइडलाइंस जारी नहीं की गई है । गांव के विद्यार्थियों को शहरों में सार्वजनिक वाहन से आना पड़ेगा। गांव में भी संक्रमण बढ़ा है। इस हालात में शैक्षणिक संस्थानों में संक्रमण के विस्तार का खतरा अधिक होगा।
परिस्थितियां अनुकूल होने पर शेष बची परीक्षाओं को तीन के बजाय दो पारियों में, प्रश्न पत्र 3 घंटे के स्थान पर 1:30 या 2 घंटे की अवधि का रखने, परीक्षा बहुचयनात्मक प्रश्नों के आधार पर ओएमआर शीट पर लेने तथा प्रायोगिक परीक्षाएं सैद्धांतिक आधार पर लेने का सुझाव भी संगठन द्वारा दिया गया है। रुक्टा (राष्ट्रीय) का कहना है कि लंबे लाॅकडाउन के चलते अकादमिक वर्ष 2020-2021 के लिए पाठ्यक्रम और अध्यापन दिवस आनुपातिक रूप से कम कर सकते हैं।
इस वर्ष सह शैक्षणिक और खेलकूद आदि गतिविधियों को स्थितियां सामान्य होने तक स्थगित रखना चाहिए। स्टाफ के सभी सदस्यों एवं विद्यार्थियों से कंटेंटमेंट जॉन से आने, निकट संबंधी के कोरोना से संक्रमित होने या डायबिटीज ह्रदय रोग आदि किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के संबंध में सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरवाया जाना चाहिए तथा स्मार्टफोन रखने वाले प्रत्येक विद्यार्थी और शिक्षक को आरोग्य सेतु एक आवश्यक रूप से डाउनलोड करवाना चाहिए। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की जानी चाहिए।
रुक्टा राष्ट्रीय ने मांग की है कि जब तक परिस्थितियां विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को खोलने के अनुकूल नहीं हो जाती तब तक शिक्षकों को भी ऑनलाइन ‘वर्क फ्रॉम होम’ मोड़ पर ही रखा जाना चाहिए।