मास्को | रूस ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत सरकार के निर्णय का समर्थन करते हुए इसे संवैधानिक दायरे के भीतर करार दिया है।
रूस के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा,“रूस भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य रखने का का लगातार समर्थन करता रहा है। हम आशा करते हैं कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों द्वारा द्विपक्षीय आधार पर 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के प्रावधानों के अनुसार हल किया जाएगा।”
मंत्रालय ने कहा,“रूस को उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर राज्य की स्थिति में परिवर्तन के कारण क्षेत्र में स्थिति को बिगड़ने की अनुमति नहीं देंगे। हम इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि कि जम्मू-कश्मीर राज्य के दर्जे में बदलाव और उसके दो केंद्र प्रशासित प्रदेशों में विभाजन भारतीय गणराज्य के संविधान के ढांचे के भीतर किया गया है ।”
बयान में कहा गया है,“हमें उम्मीद है कि इसमें शामिल पक्ष निर्णय के परिणामस्वरूप क्षेत्र में स्थिति को बिगड़ने की अनुमति नहीं देंगे।”
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में निर्णय लिये जाने के बाद भारत ने कई देशों को इस बारे में राजनयिक माध्यम से स्थिति स्पष्ट की है। यहां तक कि विदेश मंत्री के स्तर पर भी बात की गयी। उन्होंने कहा कि इन देशों ने भारत की बात को समझा है और स्वीकारा है। इन देशों के समक्ष पाकिस्तान का पर्दाफाश हो गया है।
कुमार ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में कहा कि पाकिस्तान परेशान है। उसे लग रहा है कि अब जम्मू-कश्मीर को लेकर उसकी साजिशें सफल नहीं होगी और लोगों को गुमराह करने का उसका एजेन्डा आगे नहीं बढ पायेगा। इसलिए वह दुनिया के सामने चिंताजनक तस्वीर पेश कर भय का माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। वह ऐसे मामलों को इस घटनाक्रम से जोड़ रहा है जिनका इससे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बारे में निर्णय संविधान के अनुसार किये गये हैं और यह भारत का आंतरिक मामला है। इस निर्णय के सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्णयों से जम्मू-कश्मीर में विकास की गति तेज होगी जिससे वहां के युवाओं को भ्रमित करने का पाकिस्तान का एजेन्डा विफल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को नयी हकीकत को स्वीकार कर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश से बाज आना चाहिए।