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Russian Cosmonaut Wants Yoga for Rehabilitation After Space Missions - रूसी कॉस्मोनॉट की राय- अंतरिक्ष मिशन के पुनर्वास हेतु योग का हो उपयोग - Sabguru News
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रूसी कॉस्मोनॉट की राय- अंतरिक्ष मिशन के पुनर्वास हेतु योग का हो उपयोग

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रूसी कॉस्मोनॉट की राय- अंतरिक्ष मिशन के पुनर्वास हेतु योग का हो उपयोग
Russian Cosmonaut Wants Yoga for Rehabilitation After Space Missions
Russian Cosmonaut Wants Yoga for Rehabilitation After Space Missions
Russian Cosmonaut Wants Yoga for Rehabilitation After Space Missions

नई दिल्ली । अंतरिक्ष मिशन के पश्चात् अंतरिक्ष यात्रियों के पुनर्वास कार्यक्रम में योग को भी शामिल किया जाना चाहिए। रूसी कॉस्मोनॉट मिखाइल कोर्निऐंको ने भारतीय विद्यार्थियों के साथ हुई बातचीत में यह राय प्रकट की।

कोर्निऐंको भारत में आयोजित 6 दिवसीय कार्यक्रम ’रोसातोम विज्ञान एवं संस्कृति उत्सव’ के अंतर्गत देश में आए थे, यह उत्सव रूस के संगठन रोसातोम स्टेट ऐटोमिक ऐनर्जी कॉर्पोरेशन द्वारा आयोजित किया गया था।

कोर्निऐंको ने नासा के ऐस्ट्रोनॉट स्कॉट कैली के साथ 2015 में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर 342 दिनों का लम्बा वक्त बिताया था। उन्होंने एक मोटिवेशनल लैक्चर के दौरान अपने अनुभवों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा, ’’सभी कॉस्मोनॉट अपनी उपलब्धियां अपने सहयोगियों के साथ साझा करते हैं, अंतरिक्ष की खोज में अपना योगदान देते हैं। भारत कोई अपवाद नहीं है और भारतीय कॉस्मोनॉट भी इसमें कुछ नया जोड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए योग की पद्धति बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। कुछ योग आसन ऐसे हैं जो हड्डियों व मांसपेशियों की मजबूती व लचक को कायम रखने में मददगार होते हैं। अंतरिक्ष में कॉस्मोनॉट की हड्डियों व मांसपेशियों का गंभीर क्षय हो सकता है तथा धरती पर लौटने पर यह हमारे लिए एक बड़ी समस्या होती है।’’

हाल ही में मीडिया में रिपोर्ट आई थी की भारत ने रूस से आग्रह किया है कि वह रूसी इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर तीन अंतरिक्ष यात्रियों के समूह को प्रशिक्षित करे; इस पर कोर्निऐंको ने कहा, ’’हम रूस में भारतीय कॉस्मोनॉट का स्वागत करते हैं। अपना अनुभव एवं सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को उनके साथ साझा करने को हम तैयार हैं।’’

कोर्निऐंको को 1998 में कॉस्मोनॉट की ट्रेनिंग के लिए चुना गया था। उन्होंने कुल मिलाकर 516 दिनों से कुछ अधिक वक्त अंतरिक्ष में बिताया है तथा अपने करिअर में उन्होंने दो स्पेस वॉक भी की हैं जिनका कुल समय 12 घंटे था।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की उल्लेखनीय प्रगति की कोर्निऐंको ने सराहना की, उन्होंने कहा की रूस, भारत व चीन जैसे देशों को अंतरिक्ष की खोज में कामयाबी प्राप्त करने के लिए संयुक्त प्रयास करने चाहिए।

रोसातोम स्टेट ऐटॉमिक ऐनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ रशिया के पास दुनिया में न्यूक्लीयर पावर प्लांट निर्माण परियोजनाओं का सबसे बड़ा पोर्टफोलियो है। यह संगठन तमिलनाडु में न्यूक्लीयर पावर कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से कुदनकुलम न्यूक्लीयर पावर प्लांट पर अमल कर रहा है।

रोसातोम के इंजीनियरिंग प्रभाग एएसई के भारत में उपाध्यक्ष श्री आंद्रे लेबेदेव ने कहा, ’’कुदनकुलम न्यूक्लीयर पावर प्लांट भारत व रूस के संबंधों का प्रतीक है। हमें आशा है कि हमारे इस उत्सव ने भारतीय विद्यार्थियों को प्रभावित किया होगा और वे न्यूक्लीयर इंजीनियरिंग या अंतरिक्ष में अपना करिअर बनाने के लिए प्रेरित हुए होंगे।’’

संदर्भ हेतुः
रोसातोम 300 उपक्रमों व संगठनों का समूह है जिसमें दुनिया की एकमात्र न्यूक्लियर आइसब्रेकर फ्लीट भी शामिल है। रोसातोम के पास परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माण परियोजनाओं का दुनिया में सबसे बड़ा पोर्टफोलियो है (12 देशों में 36 परमाणु ऊर्जा संयंत्र) तथा इसका यूरेनियम भंडार दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा भंडार है। यूरेनियम उत्पादन के मामले में इसका चौथा स्थान है और वैश्विक परमाणु ईंधन बाजार का 17 प्रतिशत हिस्सा इसके पास है।

भारत में रोसातोम स्टेट ऐटोमिक ऐनर्जी कॉर्पोरेशन न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से तमिलनाडु स्थित कुदनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर अमल करता है।

कुदनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की पहली इकाई को अक्टूबर 2013 में दक्षिणी पावर ग्रिड से जोड़ा गया। दूसरी इकाई अगस्त 2016 में जोड़ी गई। तीसरी व चौथी इकाईयां निर्माणाधीन हैं, जबकि पांचवी और छठी इकाईयों की संविदा कर दी गई है और ऑन-साइट तैयारी जारी है।