लंदन। ब्रिटेन ने रूस के 23 राजनयिकों को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है। ब्रिटेन के यह फैसला रूसी जासूस को जहर देने के मामले में रूस द्वारा स्पष्टीकरण देने से इंकार करने के बाद किया है।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस फैसले की घोषणा की है। शीत युद्ध के बाद पिछले 30 वर्षाें में अब तक का यह सबसे बड़ा राजनायिक निष्कासन है। प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। इन 23 राजनयिकों को ब्रिटेन छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही इस वर्ष जून में होने वाले फीफा फुटबॉल विश्वकप के लिए रूसी विदेश मंत्री द्वारा भेजे निमंत्रण को भी अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि रूस में होने वाले फुटबॉल विश्वकप में शाही परिवार हिस्सा नहीं लेगा। प्रधानमंत्री मे ने ब्रिटेन के साथ सहयोग के लिए रूस को आधी रात की समय-सीमा दी थी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन के अधिकारी जोनाथन एलन ने कहा कि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल इतना ख़तरनाक है कि इन्हें युद्ध में प्रयोग करने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। अमेरिकी राजदूत निकी हैली ने भी ब्रिटेन के इस फैसले का समर्थन किया है।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजनयिक वेस्ली नेब्नज़िया ने तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हुए मांग की है कि ब्रिटेन अपने आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत पेश करे।
उन्होंने कहा कि हम ब्रिटेन से मांग करते हैं कि वह अपने आरोपों को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत पेश करे। बिना सबूतों के यह कहना कि ये आरोप सच्चे हैं, हम इन बातों पर ध्यान नहीं दे सकते।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इंग्लैंड में रूस के एक पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को ज़हर देकर मारने की कोशिश की गई थी। 66 साल के रिटायर्ड सैन्य ख़ुफ़िया अधिकारी स्क्रिपल और उनकी 33 वर्षीय बेटी यूलिया सेलिस्बरी सिटी सेंटर में एक बेंच पर बेहोशी की हालत में मिले थे। हालांकि अभी भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
अमरीका ने रूसी राजनायिकों को निष्कासन का किया समर्थन
अमरीका ने रूस के 23 राजनयिकों को निष्कासित किए जाने के ब्रिटेन के फैसले का समर्थन किया है, व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि रूस का यह व्यवहार अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। इससे किसी देश की संप्रभुता और सुरक्षा कमजोर होती है। साथ ही पश्चिमी लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं को बदनाम करने का प्रयास किया जाता है।