नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों का समर्थन करते हुए गुरुवार को कहा कि अदालत ने जन भावनाओं और लंबी परंपराओं की अनदेखी करते हुए इस मामले में फैसला दिया है।
भागवत ने कहा कि काफी पहले समाज ने इस परम्परा को स्वीकार किया था और वर्षों से उसका पालन किया जा रहा है। इस पहलू को ध्यान में नहीं रखा गया है। धर्म प्रचारकों और करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास को ध्यान में नहीं रखा गया है।
हर साल की भांति इस वर्ष भी संघ के कार्यकर्ताओं ने विजयादशमी उत्सव के मौके पर नागपुर में पथ संचलन निकाला। इस मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने विभिन्न मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त किया और सुझाव दिया की देश को जल्द की अन्य चीजों के साथ रक्षा तथा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करनी चाहिए।
उन्होंने देश के आंतरिक तथा बाहरी विघटनकारियों से निपटने के लिए सशस्त्र सेनाओं को और मजबूत करने पर की आवश्यता पर बल दिया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के मुद्दे पर कहा कि मंदिर अब बन जाना चाहिए, लेकिन राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी की केरल इकाई के अध्यक्ष श्रीधरन पिल्लई तथा राष्ट्रीय महासचिव पी मुरलीधर राव के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने पाट्टन जंक्शन से तिरुवनंतपुरम में राज्य सचिवालय तक मार्च किया था।
बड़ी संख्या में भाजपा समर्थक इस दौरान भगवान अय्यप्पा के मंत्र का जाप किया और उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद गत बुधवार को सबरीमाला मंदिर का द्वार महिलाओं के प्रवेश के लिए खोल दिया गया था।