सबरीमला। केरल के सबरीमला मंदिर का इतिहास और उसकी प्राचीन परंपरा बुधवार को करीब 40 वर्ष उम्र की दो महिलाओं के प्रवेश के साथ ही टूट गई।
मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के बाद पहली बार 50 से कम उम्र की महिलाओं ने अयप्पा मंदिर में प्रवेश किया है।
मंदिर में पहली बार प्रवेश करने में सफल महिलाओं में कोइलांडी निवासी बिंदु और मलाप्पुरम के अंगाडीपुरम निवासी कनक दुर्गा शामिल हैं। दोनों महिलाओं ने पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में पंबा से शनिदानम पहुंची तथा सुबह साढ़े तीन बजे दर्शन करने में कामयाब रहीं।
दर्शन के बाद बिंदु ने संवाददाताओं से कहा कि वह कनक दुर्गा के साथ देर रात एक बजे पंबा पहुंच गई तथा आगे की चढ़ाई पर जाने के लिए पुलिस से सुरक्षा की मांग की। पुलिस सहयोग से हम मंदिर में भगवान के दर्शन में सफल रहे।
इस बीच मंदिर के मुख्य पुजारी कंदारारू राजीवारू ने कहा कि उन्हें युवा महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के अधिकारियों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे इस संबंध में टीवी चैनलों के जरिये खबर मिली। हम नहीं जानते कि इन महिलाओं ने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया था या नहीं।
अपुष्ट रिपोर्टाें के मुताबिक दोनों महिलाओं ने शनिधाम में पहुंचने के लिए परम्परागत मार्ग का इस्तेमाल नहीं किया। पुलिस दोनों की सुरक्षा को लेकर भारी दबाव में थी। इस बीच केरल पुलिस ने भी महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की आज सुबह पुष्टि की है।
गौरतलब है कि गत 24 दिसंबर को मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास के दौरान दो महिलाओं को स्थानीय लोगों तथा श्रद्धालुओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोगों तथा भक्तों के विरोध के कारण दोनों महिलाओं को माराक्कुटम से वापस लौटना पड़ा था।
राज्य के देवास्वम मंत्री के सुरेंद्रन ने इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इससे पहले वे कहते रहे थे कि परंपरा को तोड़ने के लिए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश कराने की सरकार की कोई नीति नहीं है।
इससे पहले पुलिस महानिदेशक लोकनाथ बेहरा ने कहा कि 28 सितंबर के शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करते हुए पहाड़ी मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
इस बीच अयप्पा धर्म सेना के नेता और कार्यकर्ता राहुल ईश्वर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह सही है। उन्होंने गुप्त तरीके से किया होगा, जैसे ही हमें पता चलेगा, हम उचित कार्रवाई करेंगे।
इससे पहले गत 24 दिसंबर के आस-पास भी सबरीमला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन की चाह रखने वाली तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने पर यात्रा को बीच में ही छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस दौरान पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था।
महिलाओं के इस समूह का नेतृत्व साल्वी कर रही थीं, जिनका संबंध तमिलनाडु के मनिति महिला समूह से है। श्रद्धालुओं की ओर से पहाड़ी पर चढ़ने से उन्हें रोकने और भगाने पर इन महिलाओं को पंबा से मदुरै के लिए वापस जाने को बाध्य होना पड़ा।
शीर्ष अदालत द्वारा गत वर्ष 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिए जाने के बाद से सबरीमला में हिंदू समूहों की ओर से लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। न्यायालय ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है, यह स्वीकार्य नहीं है।