कोच्चि। केरल हाईकोर्ट (देवस्वम पीठ) ने सोमवार को अपने एक निर्णय में कहा कि सबरीमाला का भगवान अयप्पा मंदिर केवल हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि सभी धर्मों, मतों और सम्प्रदायों के लोगों के लिए है।
न्यायालय ने यहां भारतीय जनता पार्टी के ‘इंटलेक्चुअल सेल’ के राज्य संयोजक टीजी मोहन दास की दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। उच्च न्यायालय का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब केरल की सरकार ने अगले महीने मंदिर के खुलने पर मंदिर और आसपास सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने का फैसला किया है।
दास ने अपनी याचिका में मांग की थी भगवान अयप्पा के मंदिर में केवल हिन्दू महिलाओं को ही प्रवेश दिया जाए और गैर-हिन्दू तथा गैर मूर्ति पूजकों को प्रवेश न दिया जाए क्योंकि यह केरल पूजा स्थल अधिनियम 1965 के तीसरे कानून का उल्लंघन है।
न्यायालय ने अपने आदेश में साफ कर दिया किया ऐसा कोई नियम नहीं है कि सभी श्रद्धालु जो मंदिर जाएं वह अपने माथे पर अपनी पहचान की तख्ती लगाकर जाएं। न्यायालय में केरल सरकार और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए मामले को दो सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
एक अन्य याचिका में चार महिलाओं द्वारा मंदिर में पूजा करने के लिए अदालत से सुरक्षा की मांग की थी। याचिकाकर्ता चार महिलाओं में से दो महिलाएं पेशे से वकील हैं। राज्य सरकार ने इस याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अगर तीर्थयात्री एक भक्त है तो उसकी सुरक्षित यात्रा के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे।
राज्य सरकार के जवाब पर न्यायालय ने महिलाओं को कहा कि अदालत इस संदर्भ में कुछ नहीं कर सकती है, क्योंकि सरकार ने सुरक्षित तीर्थ यात्रा का आश्वासन दिया है।