सबगुरु न्यूज-सिरोही। पिछला एक पखवाडा देश और राज्य ही नहीं, जिले में भी कोरोना और कोरोना संदिग्ध लोगों की मृत्यु के केस बढ़ रहे हैं।
सरकार के लिए ये बस एक नम्बर हो सकते हैं जो दर्ज हो या ना हो उसे फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन हर परिवार के लिए दुनिया छोड़ने वाला व्यक्ति उस परिवार का आधार होता है। इसे अगर किसी तरह से बचाया जा सके तो मानवता के लिए इससे ज्यादा मदद कुछ नहीं हो सकती।
जिले में कोरोना संक्रमित और कोरोना संदिग्ध मौतों के कुछ केसों के बारे में सबगुरु न्यूज ने जानकारी जुटाई। इन केसों की चर्चा कड़ी दर कड़ी करेंगे। इन सब केसों में जो एक चीज कॉमन निकलकर आई वो ये कि मृतकों के परिजनों को ये पता नहीं है कि कोरोना से ऑक्सीजन की कमी को देखते कैसे हैं। अधिकतर केस उस स्थिति में चिकित्सालयों में पहुंच रहे हैं, जिसके बाद करने को उनके पास भी कुछ नहीं रहता। लेकिन, गली मोहल्लों और वार्डों में कोरोना वॉरियर्स की एक ऐसा समूह बन जाये।
जिन्हें ये जानकारी हो कि किस तरह से ऑक्सीजन को मेजर करते हैं और बीमार ऑक्सीजन के गिरने के अलार्मिंग स्तर पर ही चिकित्सालय परामर्श तक पहुंच जाए तो इनमे से कई जानें सिर्फ दवाइयों से ही बचाई जा सकती हैं। प्रशासन कोरोना एप्रोप्रियेट बिहेवियर के तहत मेजरमेंट करने की जानकारी देने में इनका सहयोग कर दे तो कुछ हद तक कुछ जिंदगियां तो बचाई ही जा सकती है।
-वार्ड में बन जाएं ऑक्सीजन मेजरमेंट वोलेंटियर
जिले में सिरोही और आबूरोड में कई स्वयंसेवी संगठन, राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता, व्यवसाई, समाजसेवी ऑक्सीजन की उपलब्धता करवाने के लिए हॉस्पिटल्स और कोविड सेंटर्स पर वर्क कर रहे हैं। यदि इनमें से ही कुछ अपने ही वार्ड में कोरोना पीड़ित परिवार में दूरभाष से सम्पर्क करके उनके सिम्पटम की जानकारी ले।
जरूरत पड़ने पर ऑक्सिमिटर से ऑक्सीजन सेचुरेशन की रीडिंग लेने की जानकारी हासिल कर ले और हर मोहल्ले में एक ऐसी हेल्प लाइन बन जाये जिसके पास एक अदद ऑक्सिमिटर हो। तो कोरोना के सिम्प्टोमेटिक और असिम्प्टोमेटिक रोगियों की ऑक्सीजन मेजर करके सही समय पर पीड़ित को चिकित्सकीय परामर्श दिलवाकर उसकी जान बचाने में सहयोग कर सकते हैं।
-सिरोही में मुहिम के अगुआ बने रावल
सबगुरु न्यूज ने हाल ही में ‘सामाजिक और राजनीतिक संगठनो की ये पहल बचा सकती है जानें’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके तुरंत बाद भाजपा के सिरोही कोविड हेल्पलाइन के जिला संयोजक नितिन रावल ने इस विचार को तुरंत अपनाया।वो ऑक्सिमीटर की उपलब्धता के प्रयास में लग गए हैं। इसे खरीदने के लिए सहयोग कर्ता भी ढूंढ लिए हैं। जिससे हर वार्ड में ऑक्सीजन रीडिंग के लिए एक ऑक्सीमीटर तो उपलब्ध हो जाएं।