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ख्वाजा की नगरी के बाशिंदे राम भरोसे - Sabguru News
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ख्वाजा की नगरी के बाशिंदे राम भरोसे

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ख्वाजा की नगरी के बाशिंदे राम भरोसे

विजय सिंह मौर्य
अजमेर। स्मार्ट सिटी बनने को लेकर संजोए गए सपने को मानसूनी बरसात की पहली खेप अपने साथ बहाकर ले गई है। अजमेर का कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं रहा जिसका बरसाती पानी की आफत से सामना ना हुआ हो। निचले इलाकों के साथ इस बार पॉश कालोनियों में रहने वाले बाशिंदे भी त्राहि माम त्राहि माम करने लगे। खासकर अनासागर से उफने सैलाब ने ना केवल वैशाली नगर में कोहराम मचाया बल्कि पानी की निकासी के लिए बने एस्केप चैनल के किनारे बसे रहवासियों कोे उनके घरों में बंधक बना दिया। लाखों का नुकसान हुआ सो अलग। समीपवर्ती गांवों तक कोहराम मच गया।

नगर निगम अजमेर की मानसून को लेकर की गई तैयारियां ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुईं। लाल बिल्डिंग के वातानुकूलित कमरे में सत्ता सुख का आनंद ले रहीं प्रथम नागरिक (महापौर) ने शहर की चीरफाड़ कर बनाए गए 80 वार्डों में से किसी के लिए भी राहत का पिटारा नहीं खोला। शहर में गड्डे और खड्डे का अंतर मिट गया। जगह जगह उखडी सड़कें पैबंद की बांट जोह रही हैं। निगम की बेरुखी से साफ लग रहा है कि बरसाती मौसम की विदाई तक शहर की जनता यूं ही कराहती रहेगी और लिफाफे बांटने और लिफाफे लेने वाले घड़ियाली आंसू बहाते रहेंगे।

दीगर बात यह है कि सयाने लोग भी मानसूनी बरसात से बिगड़े हालात के लिए स्मार्ट सिटी के बेजान अफसरों और नाकारा प्रशासन को कोस रहे हैं। कमीशनखोर नेताओं और सरकारी कारिंदों को इससे कोई इत्तेफाक नहीं कि अजमेर के स्मार्ट सिटी का सपना साकार होगा भी या नहीं। हाल ही एलिवेटेड पर बनाई गई समतल सड़क पर जानलेवा स्पीड ब्रेकर बनवा दिए जो स्मार्ट सिटी के स्मार्ट इंजीनियरों की समझ का नायाब नमूना है। इसमें यातायात पुलिस का योगदान कितना है यह भी सामने आना चाहिए।

ये स्पीड ब्रेकर एम्बूलेंस के पहियों को थाम देते हैं, निसंदेह इनके कारण कई सांसे अस्पताल पहुंचने से पहले ही गई उखड़ जाने की नौबत आ जाती है। ट्रैफिक पुलिस की गुमटी स्थापित कर एलिवेटेड रोड के यातायात को साधने के दावे भी खोखले साबित हुए। एलिवेटेड रोड बनने का बाद तय हुआ कि आखिर ट्रैफिक को गुजारा कैसे जाए। नित नए प्रयोग हो रहे हैं। कभी डिवाइडर बनते हैं तो कभी टूटते हैं। भला हो सरकार का जिसने छांट-छांटकर अफसर अजमेर की छाती पर छोड़ रखे हैं। लकीर के फकीर ये अफसर ट्रैफिक व्यवस्था तो सम्भाल नहीं सकते, जनता को सहूलियत देने का जिम्मा क्या खाक सम्भालेंगे। आलम यह है कि ख्वाजा की नगरी के बाशिंदों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।

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