सबगुरु न्यूज। जैसा इंसान सोचता है, हर बार वैसा नहीं होता है। और न ही किस्मत हमेशा उसकी साथ देती है। ज्यादा पाने के चक्कर में मनुष्य वह भी गंवा बैठता है जो उसके पास है। अब बात करेंगे राजस्थान में पिछले दो दिनों से हो रही सत्ता संग्राम की। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले डेढ़ साल से विराजमान है। डिप्टी सीएम का पद सीएम के बाद ही आता है। अब सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री का पद छोटा लगने लगा था, इसीलिए उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बगावती तेवर अख्तियार कर लिए हैं।
पिछले समय जैसे मध्यप्रदेश में कांग्रेस से बगावत करके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था उसी की तर्ज पर सचिन पायलट भी सपना देख रहे हैं। लेकिन राजस्थान में विधानसभा सीटों पर बात करें तो यहां स्थित मध्यप्रदेश की अपेक्षा बहुत मजबूत है। सचिन पायलट अशोक गहलोत सरकार को गिराने में सफल हो जाते हैं तभी वह भाजपा के काम के रहेंगे। दूसरी ओर अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचा ले गए तो उसके बाद सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐसे हालात में सचिन पायलट न इधर के रहे न उधर के रहेंगे। आज सीएम गहलोत ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। यहां लगने वाली विधायकों की हाजिरी से स्थिति काफी हद तक साफ हो सकती है।
भाजपा के लिए आसान नहीं है राजस्थान में सरकार बना लेना
राजस्थान में कांग्रेस की हालत मध्यप्रदेश जितनी बुरी भी नहीं। 200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 का आंकड़ा है। भाजपा 72 पर है। जो 13 विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं, वे भाजपा के साथ आ जाएं, तो भी आंकड़ा 85 तक ही पहुंचता है। कांग्रेस के कम से कम 15 विधायक अपनी विधायकी छोड़ दें और फिर निर्दलीय और बाकी छोटे दलों के सभी विधायक भाजपा के साथ आ जाएं, तभी भाजपा की सरकार बन सकती है। पिछले दो दिनों से जो स्थितियां बनी हुई हैं, उससे साफ है कि अब सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच सुलह की गुंजाइश नहीं बची है बल्कि यह लड़ाई आरपार की बन गई है।
दिल्ली से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन और अविनाश पांडे जयपुर पहुंच चुके हैं। वैसे राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह हो जाएगी लेकिन ऐसी संभावना बहुत ही कम दिख रही है। दूसरी ओर कांग्रेस ने व्हिप जारी किया है, ऐसे में सवाल उठ रहा कि क्या सचिन पायलट विधायक दल की बैठक में शामिल होंगे। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के जो भी विधायक शामिल नहीं होंगे तो उनकी सदस्यता खत्म हो सकती है, ऐसे में सचिन पायलट की सदस्यता भी जा सकती है।
सचिन पायलट के 30 विधायकों के समर्थन वाले दावे में नहीं आ रहा दम
सचिन पायलट यह दावा कर रहे हैं कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वे इसमें सफल होते हैं तो ऐसी स्थिति में भाजपा के समर्थन से समर्थित सरकार बनाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन बीजेपी उनको मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करेगी यह अभी तय नहीं है। पायलट के कई समर्थक विधायक मुस्लिम भी हैं जो भारतीय जनता पार्टी में शायद नहीं जाएं। ऐसे में सचिन पायलट के सामने काफी बड़ी राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है। इसके अलावा राजस्थान में भाजपा के नेता पायलट को स्वीकार कर पाएंगे।
सचिन पायलट के पास फिलहाल इतने विधायक नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में संख्या बल के लिहाज से भाजपा के लिए यहां सत्ता परिवर्तन कराना काफी मुश्किल है। मौजूदा राजनीतिक हालात में अगर सचिन पायलट बीजेपी में जाने की सोचेंगे तो बिना सीएम पद के वो तैयार हो जाएं इसकी संभावना कम ही लगती है। आज शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी अशोक गहलोत का पलड़ा भारी पड़ेगा या सचिन पायलट का। राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक जारी है। गहलोत की इस बैठक में 100 कांग्रेस विधायकों के होने का दावा किया जा रहा है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार