नई दिल्ली। बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज़ में तीन मैचों में 342, 481 और 44 ओवर में 314 के स्कोर बनाने के बाद वनडे में इस्तेमाल की जा रही दो नई गेंदों के औचित्य पर बहस छेड़ दी है।
इंग्लैंड ने इस सीरीज में 481 रन का विश्व रिकार्ड स्कोर बनाया था और चौथे वनडे में 311 के लक्ष्य को 44 ओवर में ही सफलतापूर्वक हासिल कर लिया। सचिन ने कहा है कि वनडे में दो नई गेंदों के इस्तेमाल के नियम पर फिर से विचार करने की जरूरत है।
सचिन ने ट्वीट कर कहा कि एकदिवसीय क्रिकेट में दो नई गेंदों का इस्तेमाल गेंदबाजों के लिए घातक है। गेंद पुरानी नहीं हो पाती और गेंदबाज़ों को रिवर्स स्विंग नहीं मिलती जो डैथ ओवरों में तेज़ गेंदबाज़ों की खास बात होती है।
मास्टर ब्लास्टर की इस बात का पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ और रिवर्स स्विंग के उस्ताद वकार यूनुस, इंग्लैंड के तेज गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्राड और भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी समर्थन किया है।
विराट ने इंग्लैंड दौरे के लिए रवाना होने से पहले संवाददाता सम्मेलन में इस बात पर कहा कि मुझे लगता है कि दो गेंदों का इस्तेमाल गेंदबाजों को नुकसान पहुंचाने वाला है। मैंने जब एकदिवसीय क्रिकेट शुरू की थी तब सिर्फ एक ही गेंद का इस्तेमाल होता था और रिवर्स स्विंग पारी के शेष आधे समय में मानक हथियार होता था जो बल्लेबाज के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता था।
वनडे में दो गेंदों के इस्तेमाल का नियम सात साल पुराना है और इसे अक्टूबर 2011 में शुरू किया था जिसमें एक-एक गेंद का इस्तेमाल दोनों छोर से किया जाता है और इनका इस्तेमाल पारी के 25 ओवर तक रहता है। इससे गेंद को पुराना होने और रिवर्स स्विंग में मदद मिलने की संभावना समाप्त हो जाती है। गेंद पुरानी न रहने से स्पिनरों को भी फायदा नहीं रहता है। नयी बॉल पर बल्लेबाज़ के लिये स्कोरिंग ज्यादा आसान रहती है।
वकार ने सचिन की बात का समर्थन करते हुए कहा कि यही कारण है कि हम आज ज्यादा आक्रामक तेज़ गेंदबाज पैदा नहीं कर पा रहे हैं। सभी तेज गेंदबाज डिफेंसिव हो जाते हैं और मैं सचिन की बात से सहमत हूं कि रिवर्स स्विंग समाप्त होती जा रही है। ब्राॅड ने भी कहा कि रिवर्स स्विंग को देखना बहुत रोमांचक होता है। मैं सफेद गेंद के खेल में इसे वापिस देखना चाहता हूं।