Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Sacked IPS Sanjiv Bhatt gets life term in 1990 custodial death case-बर्खास्त IPS संजीव भट्ट को तीन दशक पुराने मामले में उम्रकैद - Sabguru News
होम Breaking बर्खास्त IPS संजीव भट्ट को तीन दशक पुराने मामले में उम्रकैद

बर्खास्त IPS संजीव भट्ट को तीन दशक पुराने मामले में उम्रकैद

0
बर्खास्त IPS संजीव भट्ट को तीन दशक पुराने मामले में उम्रकैद
Sacked IPS Sanjiv Bhatt gets life term in 1990 custodial death case
Sacked IPS Sanjiv Bhatt gets life term in 1990 custodial death case

जामनगर। गुजरात के जामनगर की एक अदालत ने बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट (55) को लगभग तीन दशक पुराने हिरासत में मौत (कस्टोडियल डेथ) से जुड़े एक मामले में आज उम्रकैद की सजा सुनाई।

अभियोजन पक्ष के अनुसार भट्ट ने जामनगर के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर जामजोधपुर शहर में 30 अक्टूबर 1990 को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा और भारत बंद के दौरान दंगे की कथित आशंका के चलते 133 से अधिक लोगों को हिरासत में लेने के आदेश दिए थे।

हिरासत से मुक्त किए जाने के बाद इनमें से एक प्रभुदास वैष्णानी की उसी साल 18 नवंबर को अस्पताल में मौत हो गई थी। उनकी हिरासत के दौरान पिटाई की गई थी। मृतक के भाई अमृत वैष्णानी ने इस मामले में भट्ट समेत सात पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाते हुए मामला दर्ज कराया था।

जिला जज डीएम व्यास की अदालत ने भट्ट को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी ठहराते हुए आज उम्रकैद की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपी तथा तत्कालीन कांस्टेबल प्रवीण झाला को भी उम्रकैद की सजा दी गई। पांच अन्य आरोपियों को धारा 323 के तहत एक साल के कैद की सजा सुनाई गई।

ज्ञातव्य है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गुजरात के 2002 के दंगों के दौरान दंगाई के खिलाफ पुलिस पर नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाने वाले भट्ट को लंबे समय तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण 2011 में निलंबित किया गया था तथा अगस्त 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था।

उन्होंने इस मामले में 12 जून को उच्चतम न्यायालय में याचिका देकर 10 अतिरिक्त गवाहों के बयान लेने का आग्रह किया था पर अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। राज्य सरकार ने इसे ऐसे समय में मामले को विलंबित करने का प्रयास करार दिया था जब निचली अदालत फैसला सुनाने वाली थी।