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नहीं थम रही है अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल में तल्खी - Sabguru News
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नहीं थम रही है अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल में तल्खी

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नहीं थम रही है अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल में तल्खी

Saifai holi 2018 : akhilesh yadav vs shivpal yadav

इटावा। समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच चल रही सत्ता संघर्ष की कहानी थमने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर से चाचा भतीजे के बीच तल्खी उनके पैतृक गांव सैफई में होली के मौके पर दिखाई दी।

बेशक होली के मौके पर अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के पैर छूकर आशीर्वाद लिया हो लेकिन शिवपाल सिंह यादव के संबोधन में अखिलेश यादव ही निशाने पर दिखे।

उन्होंने अखिलेश यादव का बिना नाम लिए कहा कि जहां पर एकता होती है वहां पर होली जैसे पर्व और खुशी से मनाए जाते हैं। बहुत खुशी से मनाए जाते हैं। वैसे तो आप लोग जानते हैं बहुत से लोग गांव गांव में जानबूझकर गुटबंदी कराते हैं और ऐसे लोगों से तो बहुत सावधान रहना है।

उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी थोड़ा सा मनमुटाव आता है छोटे छोटे झगड़े होते हैं तो उनको आपस में बैठ करके निपटा लेना चाहिए। बहुत छोटी छोटी बातें बड़े बड़े झगड़े करा देती है। इसमें बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। बाद में तो पंचायतें ही होती हैं। इसलिए पहले ही पंचायत कर लो। जहां पार्टीबंदी नहीं होती है, पूरा गांव एक होता है उसमें चाहे होली, दीपावली, ईद या फिर कोई अन्य पर्व हो उसका आनंद कुछ और ही होता है।

शिवपाल सिंह यादव के बाद बारी अखिलेश यादव के संबोधन की थी। अखिलेश यादव ने भी शिवपाल सिंह यादव और उनके समर्थकों को जमकर खरी खोटी सुनाई।

अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह के साथ आए उनके समर्थकों की ओर से लगाए जा रहे नारों को लेकर नाराजगी का इजहार करते हुए साफ शब्दों में कहा जिस तरह के नारे लगाए जा रहे हैं उस तरह के नारों को लगाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि यह होली का पर्व है इसलिए नारों की कोई तुक नहीं बनती है।

शिवपाल सिंह यादव का नाम लिये बिना ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग कभी सुधर नहीं सकते अगर कुछ लोग सुधर जाएं तो अच्छा रहेगा। अभी भी कुछ लोग सुधरे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि समझदार बनिये होली का पर्व खुशी से मनाने का मौका है। नारे लगाने का समय नहीं है। किसी को शक नहीं होना चाहिए कि बिना जनता के आशीर्वाद के कोई भी ऊंचाई तक नहीं पहुंच सकता है, इसलिए मेरे अंदर कोई भी गलतफहमी नहीं है।

हम कोई भी गलत फहमी पाल कर नहीं चलते हैं इसलिए नारे लगाओ समझदारी से लगाओ। इन नारों ने ही सब कुछ बिगाड़ा है यह बात भली भांति याद रखना वो सब रिकार्डिंग है हमारे पास सबके चेहरे न्यूज़ चैनलों पर टेलोकास्ट हो चुके हैं इसलिए नारे लगाना भूल जाइएगा अगर इस पार्टी को आगे बढ़ाना है तो फिर दूसरे तरह के नारे लगाना भूल जाईएगा। सिर्फ समाजवादी पार्टी याद रहे चुनाव चिन्ह साइकिल याद रहे। समाजवादी पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाएं।

यादव ने कहा कि समाज मे ऊंच नीच कभी भी खत्म नहीं होती इसलिए बुराई से लड़ना पड़ेगा, बुराई किसी भी जगह हो किसी भी रूप में हो हम आपको लड़ना पड़ेगा। ज्ञान बुराई को दूर करेगा तब हम आगे बढ़ पाएंगे और समाज को आगे ले जा पाएंगे। बुरे को जब तक बुरा नहीं कहोगे तब सही का एहसास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम लोगों को अपने को साबित करने का मौका मिलने वाला है। पन्द्रह-बीस साल बाद हम सभी सीनियर सिटीजीन वाले दायरे में आ जाएंगे।

अखिलेश यादव ने कहा कि साइकिल बिन रगड़ा खाए चलाना नहीं सीखी जा सकती है। उसी तरह से पानी में घुसे बिना और जब तक नाक और मुंह मे पानी नहीं जाएगा तब तक कोई तैर नहीं सकता है। उन्होंने एक तरफा नारे लगाने वालों को नसीहत देते हुए कहा कि दिल से नारे लगाओ, दिमाग से नहीं।

उन्होंने कहा कि हम सबका सम्मान करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के बारे में मैं काफी कुछ समझने में जुटा हुआ हूं। सैफई में श्रीकृष्ण की मूर्ति का अनावरण करवाने वाला हूं तब आप लोगों को बुलाता हूं।

किसानों की आत्महत्या की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 100 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। किसी का भी कर्ज माफ नही हुआ। 15 लाख की उम्मीद में 500 की पेंशन भी चली गई। नोटबन्दी का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि किसी गरीब को इससे कोई फायदा नहीं हुआ है। हां, बड़े लोगों ने लोन के नाम पर घोटाले करना जरूर शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि नंबर बढ़ाने वाले समझ लें उनके नंबर कम भी हो सकते हैं। हर वस्तु को आधार से जोड़ने की प्रकिया में भाजपा जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर आज आधार ही सबसे बड़ी जरुरत है तो फिर जिसकी जितनी आबादी है उतनी उसको भागीदारी दे दो।

सैफई के होली समारोह मे शामिल होने के लिए सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव भी आए हुए थे लेकिन उनकी तबीयत बिगड जाने के बाद वह लखनऊ लौट गए।