नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों की एक घटना को लेकर उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के मामले में पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने सोमवार को कड़कड़डूमा अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
सज्जन कुमार ने मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग की अदालत में आत्मसमर्पण किया। न्यायाधीश गर्ग ने उन्हें मंडोली जेल भेजने का आदेश दिया। सज्जन कुमार ने याचिका दायर की थी कि उन्हें उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में रखा जाये लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया।
अदालत ने हालांकि उनकी सुरक्षा याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि उन्हें जेल अलग वैन से ले जाया जाए। तिहाड़ जेल भेजने की उनकी याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि नियम के अनुसार उन्हें मंडोली जेल भेजा जा रहा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर को सिख विरोधी दंगों में पांच लोगों की हत्या के मामले में 73 वर्षीय सज्जन कुमार समेत अन्य लोगों को सजा सुनाई थी। सज्जन कुमार ने पारिवारिक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से आत्मसमर्पण की तिथि को एक माह बढ़ाने की याचिका दायर की थी जिसे न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया।
सजा के खिलाफ पूर्व सांसद ने उच्चतम न्यायालय में भी अपील की लेकिन न्यायालय में एक जनवरी तक शीतकालीन अवकाश होने की वजह से उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी और उन्हें अदालत में आत्मसमर्पण करना पड़ा।
सज्जन कुमार से कुछ घंटे पहले इस मामले में सजा सुनाए गए पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर ने भी अदालत में आत्मसमर्पण किया। दोनों को इस मामले में 10-10 वर्ष के कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा इस मामले में बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल को भी सजा मिली थी।
यह मामला दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालन कालोनी क्षेत्र के राज नगर पार्ट, एक में पांच सिखों की हत्या का था। पांचों की हत्या एक और दो नवंबर 1984 को गई थी।
सज्जन कुमार के आत्मसमर्पण करने के बाद उनके वकील ने बताया कि अदालत ने उन्हें मंडोली जेल भेजने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि सुरक्षा कारणों के उन्हें ले जाने के लिए अलग से वैन उपलब्ध कराई जाए। कांग्रेस नेता को मंडोली जेल ले जाया गया है और उन्हें बैरक क्रमांक 14 में रखा गया है।
इस मामले में निचली अदालत ने 2010 में दिए अपने फैसले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया गया था जिसके खिलाफ सिख संगठनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।