मुंबई। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के वरिष्ठ अधिकारी एवं नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को शनिवार को जाति वैधता समिति (सीवीसी) ने क्लीन चिट दे दी। वानखेड़े पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर आरक्षित श्रेणी के तहत सरकारी नौकरी हासिल की थी।
तीन सदस्यीय समिति ने मामले की जांच के बाद वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है। समिति ने आदेश में लिखा है कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान नहीं थे। यह साबित नहीं हुआ है कि वानखेड़े और उनके पिता ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, लेकिन यह साबित हो गया है कि अनुसूचित जाति महार से ताल्लुक रखते हैं।
इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि समीर वानखेड़े ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है।
मुंबई पुलिस को दो शिकायतें भी मिलीं जिसमें शिकायतकर्ता ने सबूत के तौर पर वानखेड़े का जन्म और विवाह प्रमाण पत्र समिति के समक्ष रखा था। वानखेड़े ने इससे पहले भी इन आरोपों का खंडन किया था और उन्होंने कहा था कि स्कूल रिकॉर्ड में 1985 से 1989 तक उनकी जाति मुस्लिम समुदाय के तौर पर दर्शाई गई है और इसके बाद उनके प्रमाण पत्र में उन्हें अनुसूचित जाति महार दर्शाया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में एक क्रूज पर ड्रग पार्टी से जुड़े मामले में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान और कुछ अन्य को आरोपी बनाए जाने के बाद मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाए थे।