अजमेर। सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को इतिहास संकलन समिति और इंटेक के संयुक्त तत्वाधान में पृथ्वीराज के साम्राज्य विस्तार विषय पर संगोष्ठी का आयोजन स्वामी काम्प्लेक्स में किया गया।
मुख्य अतिथि राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य डा शिवसिंह राठौर ने कहा कि अल्पायु में पृथ्वीराज चौहान को शक्ति, भक्ति और सरस्वती का प्रतिक बन गए। ये गुण उन्हें अपनी माता कर्पूरी देवी और परिवार से प्राप्त हुए थे। आज इस राष्ट्र को आवश्यकता है कि माताएं बालकों और युवाओं को प्रतिदिन घर में समय दें ताकि वे भारत की मौलिक संस्कृति को जीवंत रख सकें और भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने में अपनी भूमिका निभा सके।
पृथ्वीराज न केवल भारत के बल्कि विश्व के महान शूरवीर थे। उनके साम्राज्य की सीमाएं उत्तर पश्चिम में ईरान, अफगानिस्तान तक विस्तृत थीं। दिल्ली का तोमर राज्य अजमेर के अधीन था। उन्होंने कहा कि युद्ध हौसलों से जीते जाते हैं। पृथ्वीराज शौर्य प्रबंधन और संस्कृति के पोषक थे। चौंसठ युद्ध लडे और सभी जीते। अंतिम युद्ध सदगुण विकृति का परिणाम था। लेकिन आक्रांता मोहम्मद गौरी को शब्दभेदी बाण से मारकर स्वंय ने भी अपने आन बान शान के लिए बलिदान दिया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष डॉ नवल किशोर उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत सम्बोधन करते हुए बताया कि महापुरुषों की जयंती मनाना क्यों आवश्यक है। ऐसे कार्यक्रमों से युवाओ में राष्ट्र प्रेम का संचार होता है। विशिष्ट अतिथि डॉ दिनेश मांडोत ने पृथ्वीराज का साम्राज्य विस्तार और उसकी प्रासंगिकता आज समय की मांग है। आज परिस्थिति अनुकूल है कि भारत पुनः विश्वगुरु और अखंड भारत की और अग्रसर है।
डॉ सूरज राव ने जन जन में स्मरणीय पृथ्वीराज चौहान से सम्बंधित कहावतों गीतों पर शोध पर बल दिया। रवि शर्मा ने विचार व्यक्त किए और ध्वनि मिश्रा ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम अध्यक्षता डॉ शिवदयाल सिंह ने की तथा पृथ्वीराज को जानो प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरुस्कृत किया गया।
आभार प्रदर्शन समारोह समिति के कँवल प्रकाश ने किया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ हरीश बेरी ने किया। कार्यक्रम में समिति के जीतेन्द्र जोशी, तानसिंह शेखावत ,विनीता, पृथ्वीराज ,इटेक से के के शर्मा नगर के प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।