नई दिल्ली। स्वच्छता सेवा मुहैया कराने की कोशिश में सामने आने वाली चुनौतियों पर रोशनी डालने के लिए सहभागिता अनुसंधान के अंतरराष्ट्रीय केंद्र, सोसाइटी फॉर पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन एशिया (पीआरआईए) ने अजमेर में स्वच्छता की स्थिति पर अध्ययन किया है।
इस रिपोर्ट में नगर के शहरी गरीब परिवारों और मध्यम वर्गीय कॉलोनियों के आंकड़े मुहैया कराए गए हैं। इसमें अजमेर की 79 फीसदी कॉलोनियों के घर और बाकी 21 प्रतिशत झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र को शामिल करने का दावा किया गया है।
यह सर्वेक्षण 2017 में किया गया। इसमें अजमेर के 60 वार्ड के 6220 परिवारों को शामिल किया गया। शहर की स्वच्छता सेवाओं के सर्वेक्षण के लिए पांच अहम क्षेत्रों की जांच की गई। इसमें सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, शौचालय सुविधाएं, पानी के स्रोत और नालियां, जलापूर्ति और नहाने की सुविधाएं शामिल रहीं। सर्वेक्षण में डाटा एकत्र करने के लिए मोबाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया।
पीआरआईए के निदेशक कौस्तुव कांति बंदोपाध्याय ने कहा कि तेजी से शहरीकरण के कारण नागरिक सेवाओं और खासतौर से स्वच्छता सेवा पर दबाव पड़ा है। शहरी स्वच्छता सेवाओं के तहत पूरे शहर के लिए योजना बनाने में एक दिक्कत यह है कि वास्तविक आंकड़ों की कमी है। नगर निगमों के पास अक्सर आवश्यक सुविधाएं नहीं होती हैं जिससे वास्तविक योजना निर्माण के लिए आंकड़े जुटाएं जा सकें।
अजमेर में कूड़े को अलग करना एक गंभीर चिंता के रूप में उभरा है। यह भी सामने आया कि अजमेर की कॉलोनी के घरों में सिर्फ 75 प्रतिशत के दरवाजे से कूड़ा लिया जाता है। झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र के घरों में स्थिति और खराब है और वहां यह प्रतिशत सिर्फ 55 प्रतिशत है। अजमेर में सिर्फ 13 प्रतिशत घर कूड़ा ले जाने वाले को पैसे देते हैं।
अजमेर की कॉलोनियों के 91 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। झुग्गी बस्ती क्षेत्रों में 80 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। कॉलोनियों और स्लम (झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र) दोनों में ज्यादातर घर सेप्टिक टैंक के भरोसे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अजमेर की कॉलोनियों में 48 प्रतिशत और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र में 64 प्रतिशत सेप्टिक टैंक कभी साफ नहीं किए गए हैं।