नयी दिल्ली | बिहार की जमुई लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के जिलों में मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार) से 100 से अधिक बच्चों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि बच्चों की मौत के सही कारणों, उनके इलाज, रोकथाम के उपायों और इस संबंध में जागरुकता फैलाने के लिए समिति गठित की जानी चाहिए।
पासवान ने कहा कि साल दर साल बच्चे मौत के मुंह में जा रहे हैं, लेकिन इस बीमारी के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पा रहा है। संसद में भी इस पर एक बार चर्चा हुई थी कि इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी और इसकी रोकथाम के उपायों पर काम किया जाना जरूरी है।
सरकार को इसके लिए एक निश्चित समय सीमा तय करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समय सीमा के भीतर बीमारी के कारणों और इलाज का पता लगाया जा सके। उन्होंने उम्मीद जतायी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आज मुजफ्फरपुर जाने से स्थिति में सुधार जरूर होगा। उन्हें मुख्यमंत्री पर पूरा भरोसा है।
यह पूछे जाने पर कि बच्चों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा, सांसद ने कहा कि स्वास्थ्य मुख्य तौर पर राज्य सरकार का विषय है, लेकिन बच्चों को मौत से बचाने की जिम्मेदारी सबकी है। पासवान पत्रकारों के कई सवालों का सीधा जवाब देने से बचते नजर आये।
इस सवाल पर कि 100 से अधिक बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री का मुजफ्फरपुर जाना उनकी नींद देर से खुलने का परिचायक नहीं है, उन्होंने कहा कि यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है और इस समय वह एेसी किसी बात का जवाब देना सही नहीं समझते।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के साथ संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच का स्कोर पूछने के बारे में प्रश्न करने पर उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में विशेष संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। इसके अलावा वह कुछ नहीं नहीं कहना चाहते।
उन्होंने कहा कि जिन माता-पिता ने अपने बच्चे खोये हैं, वे बहुत दुख और आक्रोश में हैं। ऐसे में राजनीतिक और अन्य किसी किस्म की टीका-टिप्पणी से हालात और बिगड़ेंगे। फिलहाल उन्हें संवेदना, सहानुभूति और सहारे की जरूरत है। यह प्रयास करने की जरूरत है कि अब एक भी बच्चे की मौत नहीं हो। अगर दवाओं, डॉक्टरों, अस्पतालों या किसी भी किस्म की अन्य जरूरत पड़ती है तो उसे तत्काल पूरा किया जाये।
उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों से बच्चों की मौत का कारण पता लगाने और इसके पूरी तरह उन्मूलन के लिए उपाय खोजने का अाग्रह किया। उन्होंने कहा कि कम से कम यह संकल्प जरूर लिया जाना चाहिए कि अगले वर्ष से इसके कारण एक भी बच्चा काल कवलित न हो।