अजमेर। विश्व में संस्कृत के प्रति चाह निरन्तर बढ़ रही है। संस्कृत पोषित भारतीय संस्कृति विश्व में ग्राह्य है। सम्पूर्ण विश्व में संस्कृत की पोषक संस्कृत भारती निरन्तर संस्कृत के प्रचार प्रसार व संस्कृत को जनभाषा बनाने हेतु कृतसंकल्पित है। यह बात संस्कृतभारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने संस्कृतभारती राजस्थान के तीनों प्रांत चित्तौड़ जयपुर व जोधपुर के सम्मिलित प्रशिक्षण वर्ग के समापन अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने संस्कृत के महत्व, संस्कृत की प्रतिष्ठा, शोध, अनुसंधान पर बल देते हुए संस्कृत संभाषण पर जोर देते हुए कहा कि संस्कृत भारती भारत के पुनर्जीवनोत्थान के लिए देश विदेश में संस्कृत भाषा के प्रथम सोपान संस्कृत संभाषण का कार्य कर रही है। लगभग 500000 संस्कृत शिक्षक व प्रशिक्षक देश में संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए संस्कृत भारती के माध्यम से निरंतर प्रयासरत हैं।
विश्व के 40 देशों में 254 विश्वविद्यालयों में संस्कृत विभाग कार्य कर रहे हैं जिसमें अमरीका, रूस, जापान आदि प्रमुख हैं साथ ही जर्मनी व फ्रांस में भी संस्कृत को महत्व दिया जा रहा है। विश्व की पहली भाषा संस्कृत में 4300000 पांडुलिपियों भारतीय ग्रंथों के आधार पर मौजूद हैं जिसमें से केवल 45000 प्रकाशित हुए हैं।
क्षेत्र संयोजक डाक्टर तग सिंह राजपुरोहित बताया कि 31 मई से संस्कृतभारती राजस्थान क्षेत्र के तीनों प्रांत के सम्मिलित प्रशिक्षण वर्ग अजमेर के शहीद अविनाश माहेश्वरी आदर्श विद्या मंदिर में आयोजित किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि उद्योगपति सुनील दत्त जैन, विशिष्ठ अतिथि सांसद भागीरथ चौधरी, अध्यक्षता चित्तोड़ प्रान्त अध्यक्ष कृष्ण कुमार गौड़ द्वारा की गई।
गौरतलब है कि कार्यक्रम में 172 शिक्षार्थियों में चित्तोड़ प्रान्त के 12 जिलों से 72 प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में सभी प्रशिक्षणार्थी को शिविर से संस्कृत सम्भाषण सीख कर अपने क्षेत्र में संस्कृत संभाषण चलाने व संस्कृत को जनभाषा बनाने पर बल दिया।
समापन समारोह में संस्कृत भारती के क्षेत्र शिक्षण प्रमुख राजेन्द्र शर्मा, क्षेत्र के संगठन मंत्री हुलास चंद्र, अधिवक्ता परिषद के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश राणा, सेवा भारती के मोहनलाल खंडेलवाल समेत कई गणमान्यजन उपस्थित रहे।