एक बार गाँव का सरदार गाड़ी में अपने मित्रों के साथ पिकनिक पर जा रहा था।
गाड़ी के सामने के काँच से मित्रों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकि सरदार सड़क के तमाम गड्ढे बचाता हुआ बड़ी सफाई से गाडी चला रहा था।
मित्रों ने हैरान होकर पूछा—” सरदार, सामने काँच से कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा।
फिर भी गाड़ी इतनी परफेक्ट कैसे चला रहे हो ? “
सरदार —” क्या बताऊँ यारों ? अपनी भूलने की आदत के कारण अब तक मेरे 1760 चश्मे गुम चुके हैं। “
मित्र—” अरे सरदार हम ड्राइविंग के बारे में पूछ रहे हैं। “
सरदार —” वही तो बता रहा हूँ। चश्मे बनवा बनवा कर मैं हैरान परेशान हो गया तब
गाड़ी का काँच ही चश्मे के नंबर वाला बनवाकर गाड़ी में लगवा लिया। ”
संता बंता में लड़ाई हो गयी,
संता – साले तू मेरी शादी में क्यों नहीं आया,
मैंने मैसेज भी किया था,
बंता – अरे लेकिन मुझे तो मेसेज मिला ही नहीं था,
संता- तो क्या हुआ ,
मैंने मैसेज में पहले ही लिख दिया था कि ,
मैसेज मिले या ना मिले आना जरूर
ट्रेन में वार्निंग लिखी थी…
बिना टिकिट सफर करने वाले यात्री होशियार!
सरदारजी इतनी लाइन पढ़ कर बिफर गये:
वाहजी ये कोई बात हुई बिना टिकिट सफर करने वाला होशियार,
हमने टिकिट लिया तो हम बेवकूफ़
बॉस – आपकी शादी हो गयी?
सरदार – हाँ जी, 1लड़की से हुई है,
बॉस – शादी तो लड़कीसे ही होती है,
सरदार – ना जी मेरी बहन कि तो लड़के से हुई थी !