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ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।
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ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।

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ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।

गाँव के भोले लोग, शहर में एक शादी के रिसेप्शन में गए,

अंदर गये तो इतने सारे सलाद की आइटम देख कर बाहर आ गये,
बाहर आकर एक बोला…

अभी तो सब्जी भी नहीं बनी है…!!! कटी धरी है !!


अध्यापक –
टेबल पर चाय किसने गिराई? इसे अपनी मातृभाषा मे बोलो ।

छात्र –
मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में ?

अध्यापक – हां ।

छात्र – अरे छाती कूटा म्हारा जीव लियां बिना थने चैन नी पड़े ? ओ की थारो बाप ढोली चाय ?

अध्यापक बेहोश !…


*पत्नी बोली* ….
ओ जी थे हर बात मं म्हारा पीहर वाला न बीच मं क्यूँ ल्याओ हो।

जो केवणो है म्हन सीधो- सीधो के दिया करो

*पति बोल्यो* :
देख बावळी, अगर आपणो मोबाइल खराब हु ज्याव तो आपां मोबाइल न थोड़ी बोलां ,

गाल्यां तो कंपनी वाला न ही काढस्यां नी

गेल सफी कठई की………