Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये, लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए
होम Humor मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये, लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए

मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये, लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए

0
मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये, लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए

मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाये,
लेकिन सकून का जजीरा मिल न पाए

प्रश्न: इस कविता में, कवि कहाँ है और क्या कर रहा है?

उत्तर: इस कविता में कवि wine shop के बाहर खड़ा है और उसका नवरात्रि का व्रत है़.🤣🤣

।। हैपी नवरात्रि ।।


पेन खो जाए तो नया ले सकते हैँ
लेकिन उसका ढक्कन खो जाए तो नया नही ले सकते है..

इसलिए जीवन मेँ एक बात हमेशा याद रखना!

पेन हमेशा टिचुक-टिचुक वाला ही लेना!!


मेरे एक शुभचिंतक ने मुझे यह सुझाव दिया –
कि wife से बहस से नहीं जीतो,
बल्कि अपनी मुस्कान से हराओ।

मैंने प्रयास किया ••••••

Wife बोली-
बहुत ज्यादा हंसी आ रही है तुमको आजकल??
लगता है तुम्हारा भूत उतारना पड़ेगा ।।