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अजमेर। नवरात्र में माता मंदिरों में भक्तों का अपार समूह उमड रहा है। ऐसा ही नजारा करीब 1300 साल प्राचीन शक्तिपीठ श्रीनौसर माता मंदिर में शारदीय नवरात्र के दौरान नजर आ रहा है। यहां दूर-दूर से लोग नवरात्र में दर्शनों के लिए आते हैं। माता से भक्त मुरादें मांगते हैं और नौ स्वरूपों में माता अपने भक्तों का कल्याण करती हैं।
यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां मां के नौ रूपों का दर्शन होता है। माता का आशीष पाने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। माता के नौ स्वरूपों की प्रतिदिन आराधना की जाती है। नौसर माता कई समाज की कुलदेवी हैं। माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान है। नवदुर्गा के इस मंदिर को स्थानीय लोग नौसर माता के नाम से जानते हैं।
प्राचीन मंदिर के बारे में पदम पुराण में उल्लेख मिलता है कि पुष्कर में सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगत पिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान किया था। दानवों से यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर प्रकट हुईं थीं, तब से माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर विराजित हैं।
यह भी मान्यता है कि मुगल काल में औरंगजेब ने इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था। मंदिर को औरंगजेब की सेना ने तोड़ दिया, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाली प्रतिमाओं को वह नुकसान नहीं पहुंचा पाया। बाद में मंदिर की पुनः स्थापना की गई। हालांकि, रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण-शीर्ण होता गया। करीब 130 साल बाद संत बुध करण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
बताया जाता है कि पहाड़ी के आस-पास कोई जलाशय नहीं था। ऐसे में संत बुध करण के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था। तब माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मंदिर के नीचे विशाल पत्थर है, जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा। वह कुंड आज भी मौजूद है। कहते हैं कि उस कुंड में कभी पानी नहीं सूखता।