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अजमेर। सडक पर ही पूजा पाठ, नमाज, सोना, बिछौना कुछ ऐसा ही आलम नजर आ रहा है अजमेर कलेक्ट्रेट के मेन गेट के बाहर, जहां सर्व शिक्षा अभियान में अनुबंध के तहत कार्यरत क्रमिक अनशन पर डटे हैं। सरकारी अवकाश के बावजूद शुक्रवार को दूसरे दिन भी कलेक्ट्रेट के बाहर कर्मचारी जोश खरोश से मौजूद रहे।
महिला एवं पुरुष आंदोलनकारियों ने बीती रात खुले आकाश तले ही काटी। तमाम सरकारी दबाव के बावजूद टस से मस न होने पर अडे आंदालनकारियों ने खुला ऐलान किया है कि हमारी मांगे वाजिब है और सरकार को भ्रम फैलाने की बजाय कर्मचारी हित में निर्णय करना ही होगा।
भारतीय मजदूर संघ से संबंद्ध सर्व शिक्षा अभियान संघ ने ग्रेच्युटी, निममितीकरण, सातवां वेतन आयोग के अनुरूप वेतन, सरकारी सुविधाएं बहाल करने की मांग को लेकर अब सरकार से आर पार की लगडाई के मड में हैं।
आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे भामसं के सह संगठन मंत्री मूल सिंह पंवार ने कहा कि भाजपा शासनकाल में सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं, उन्होंने शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि ये आंदोलन सत्ता और कर्मचारी संगठन के बीच का है। सत्ता अस्थाई होती है लेकिन कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों का अस्तित्व कभी खत्म नहीं होता। कर्मचारियों को न्याय मिलना ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुखद बात यह है कि 2004 तक इन कर्मचारियों को मिल रही सुविधाएं भी बिना किसी अधिकारिक आदेश के बंद कर दी गई हैं। पांचवे और छठे वेतनमान का लाभ मिला लेकिन 7वां वेतनमान अटका दिया गया। आज भामाशाह तक को मेडिकल सुविधा मिल रही है लेकिन इन कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा से वंचित रखा जा रहा है।
कर्मचारियों की मांगों को वाजिब करार देते हुए खुद शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने 22 अप्रेल 2018 को जवाहर रंगमंच पर आयोजित अधिवेशन में घोषणा की थी कि इनकों पूरा किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री राजे से बातचीत का भरोसा दिलाया था। लेकिन शिक्षामंत्री की घोषणा थोथी साबित हुई। स्थिति जस की तस बनी हुई है। मजबूरन कर्मचारियों को आंदोलन की राह पकडनी पडी।
क्रमिक अनशन का दूसरा दिन
अजमेर कलेक्ट्रेट के बाहर खुले आकाश तले क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों में महिलाओं की संख्या अधिक है। रात को असुरक्षा भरे वातावरण तथा विपरित हालात में भी 50 के करीब आंदोलनकारी डटे रहे। छाया, पानी, भोजन की समुचित व्यवस्था न होने के बाद भी सभी एकजुटता के साथ डटे हैं। शुक्रवार को भी उदयपुर से लीला जाट, नागौर के सुरेन्द्र शर्मा, उदयपुर की राजकुमारी शर्मा, जोधपुर से शाजिदा कुरैशी, उदयपुर से चुन्नी लाल क्रमिक अनशन पर रहे।