इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से बौखलाये और विश्व के विभिन्न मंचों पर इस मुद्दे पर पटखनी खाने के बाद पाकिस्तान को अब सऊदी अरब ने जोरदार झटका दिया है। पाकिस्तान कश्मीर के मसले को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक में जम्मू-कश्मीर का मसला उठाने के लिए आतुर था लेकिन सऊदी अरब के मना करने से उसके मंसूबे पर एक बार फिर पानी फिर गया।
चार महादेशों के 57 देश के सदस्य वाले इस संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों की नौ फरवरी को सऊदी अरब के जेद्दा में बैठक होनी है। पाकिस्तान चाहता था कि मुस्लिम देशों के इस संगठन में वह कश्मीर का मुद्दा उठाकर सहानुभूति बटोरे लेकिन सऊदी अरब को यह मंजूर नहीं है।
पाकिस्तान मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बीच कश्मीर मसले पर तत्काल चर्चा के लिए पूरा जोर लगा रहा था लेकिन सऊदी अरब ने साफ-साफ मना कर दिया।
पड़ोसी देश के विदेश मंत्री ने ओआईसी बैठक को देखते हुए कहा था कि कश्मीर मसले पर मुस्लिम राष्ट्रों को एकजुटता का संदेश देना चाहिए लेकिन सऊदी अरब ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। पाकिस्तान का मित्र देश चीन संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भी कश्मीर का मसला उठाना चाहता था लेकिन उसे वहां अनुमति नहीं मिली थी।
गौरतलब है कि कश्मीर मसले पर और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद का साथ भी अब पाकिस्तान को मिलता नजर नहीं आ रहा है। भारत ने मलेशिया के रुख को देखते हुए वहां से प्रसंस्कृत पामोलीन के आयात को प्रतिबंधित कर दिया जिससे उसे बहुत झटका लगा। अब मलेशिया ने भी कश्मीर के मसले पर चुप्पी साध ली है। इसके बाद पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान का दर्द छलका और उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रों को धार्मिक आधार पर एकजुट होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्मक कर अनुच्छे 370 की कुछ धाराओं और अनुच्छेद 35 ए को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बना दिए थे।
भारत और सऊदी अरब के घनिष्ठ संबंध हैं और श्री मोदी को सऊदी अरब के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।