सावित्री बाई फुले की जीवनी बहुत ही रोचक और प्रेरित कर देने वाली है। सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्री बाई पुरे भारत में पहली महिला अध्यापिका थी जिन्होंने न केवल एक अध्यापिका के रूप में बल्कि एक अच्छे इंसान की तरह भी अपने जीवन को लोगो की सेवा में समर्पित कर दिया।
सावित्री बाई की शादी
सावित्री बाई की शादी भाग्य से महात्मा ज्योति रॉव फुले से हुई जो की ख़ुद बहुत बड़े समाज सेवक थे जिन्होंने जात-पात को लेकर भेद भाव को ख़तम करने का प्रयास किया था और समाज को उन्नंती की और ले जाने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। सावित्री बाई फुले और ज्योति रॉव फुले के कोई संतान नहीं थी।
सावित्री बाई फुले की शिक्षा
वैसे तो सावित्री बाई फुले ने कई महिलाओँ को पढ़ाया लेकिन वह खुद अनपढ़ थी शादी के पहले। ज्योति रॉव फुले ने शादी के बाद सावत्री बाई फुले को पढ़ना लिखना सिखाया और सावत्री बाई की पढ़ने की चाहत इतनी थी की वह खुद तो पढ़ी और साथ में उन्होंने कई महिलाओँ को शिक्षित किया।
सावित्री बाई फुले का जीवन संघर्ष
महिला शिक्षा में पहला नाम सावित्री बाई का ही आता है और इसके लिए उन्हें काफी मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा महिला शिक्षा में उनका सहयोग महिला क्रांति कारी सगुणा बाई ने भी दिया था। सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने सगुनाबाई के साथ मिलकर भिड़े वाडा में अपना स्कूल भी शुरू किया । भिड़े वाडा तात्या साहब भिड़े का घर था, जो इन तीनों के काम से प्रेरित था। भिड़े वाडा के पाठ्यक्रम में गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन के पारंपरिक पश्चिमी पाठ्यक्रम शामिल थे। 1851 के अंत तक सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले पुणे में लड़कियों के लिए तीन अलग-अलग स्कूल चला रहे थे। संयुक्त रूप से तीनों स्कूलों में लगभग 150 बच्चे थे जिनमे से अधिकांश दाखिला लड़कियों ने लिया था।
सावित्री बाई की मृत्यु
सावित्री बाई फुले ने एक पुत्र गोद लिया था जिसका नाम यशवंत था और 1897 में प्लेग के चलते उनके पुत्र ने एक क्लिनिक खोला था और सावित्री बाई भी अपने पुत्र के साथ शामिल हो गई लेकिन दुर्भाग्य से वह खुद भी प्लेग की चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को रात्रि के 9 : 00 बजे उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
सावित्री बाई की जीवनी संक्षिप्त में
सावित्री बाई फुले का जन्म : 3 जनवरी 1831
सावित्री बाई फुले के पति:
सावित्री बाई की शादी भाग्य से महात्मा ज्योति रॉव फुले से हुई जो की ख़ुदक बहुत बड़े समाज सेवक थे
सावित्री बाई फुले की संतान:
सावित्री बाई फुले की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने एक पुत्र गोद लिया था जिसका नाम यशवंत था।
सावित्री बाई फुले की मृत्यु :
सावित्री बाई फुले प्लेग की चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को रात्रि के 9 : 00 बजे उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।